

धनबाद: पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना से रखा जाने वाला करवा चौथ का पावन पर्व इस साल 10 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा माता को समर्पित यह व्रत, अविवाहित लड़कियों को मनचाहा पार्टनर पाने का वरदान भी देता है।
यह व्रत सरगी से शुरू होता है और छलनी से चंद्र देव और पति के दर्शन के बाद समाप्त होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि करवा चौथ पर छलनी से ही पति का चेहरा देखने की परंपरा क्यों है?

छलनी से पति का चेहरा देखने का गहरा राज

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ पर छलनी का उपयोग बुराई और अंधकार को दूर करने का प्रतीक है। छलनी का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करता है कि व्रत रखने वाली महिला अपने पति को देखने से पहले किसी भी अशुभ या नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर रही है।
महिलाएं पहले छलनी से चंद्रमा के दर्शन करती हैं और उन्हें अर्घ्य देती हैं। चंद्रमा को आयु, शीतलता और प्रेम का कारक माना जाता है। चंद्रमा को देखने के बाद, उसी छलनी से पति का चेहरा देखा जाता है। यह क्रिया पति के जीवन में दीर्घायु और सुख-समृद्धि को छलनी के रूप में छानकर लाती है, जबकि सभी नकारात्मकता को दूर कर देती है। यह पति के प्रति प्रेम और उसके जीवन की रक्षा की प्रार्थना का एक गहरा धार्मिक अनुष्ठान है।
करवा चौथ 2025: व्रत और पूजा का समय
व्रत का समय: सुबह 06:19 बजे से शाम 08:13 बजे तक।
पूजा का शुभ समय: शाम 05:57 बजे से 07:11 बजे तक।
चंद्रोदय का समय: शाम 08:13 बजे।
इस दौरान विवाहित महिलाएं विधि-विधान से पूजा कर अपने पति के लिए मंगल कामना करेंगी।
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