

सरायकेला खरसावां में जिला प्रशासन के लिए बालू माफिया सिरदर्द बनते जा रहा हैं. एक तरफ जिला प्रशासन कार्रवाई के नाम पर दावे तो करती हैं. मगर उनके दावे कागजों के पन्नों पर ही सीमित रह जाती हैं.
वैसे इन दिनों बालू माफिया प्रशासन के लिए सिरदर्द बन रहे हैं या प्रशासन को सिरदर्द पालने का शौक है ये हम नहीं बता सकते हैं. आलम ये है कि एक तरफ जिला स्तरीय खनन टास्क फोर्स की बैठक में अवैध बालू खनन उठाव और परिवहन पर रोक लगाने की बात होती है. जिला खनन पदाधिकारी को इसके लिए विशेष ताकत दी गयी है, बावजूद इसके यदि दिन के उजाले में धड़ल्ले से बालू खनन-
उठाव और परिवहन हो तो इसपर किसकी जवाबदेही हो यह भी तो तय होनी चाहिए. शनिवार को सरायकेला अनुमंडल क्षेत्र में बालू माफ़ियायों का दो रूप सामने आया. पहला रूप आदित्यपुर के आरआईटी थाना क्षेत्र के अलग- अलग घाटों के आसपास स्टॉक कर रखे भारी मात्रा में बालू के रूप में आया जिसे गुप्त सूचना पर एसडीओ पारुल सिंह ने जब्त कर थानेदार को कार्रवाई करने का निर्देश दिया. ठीक उसी वक्त जब आदित्यपुर में एसडीओ द्वारा कार्रवाई हो रही थी कांड़ा के मानीकुई नदी घाट में आधा दर्जन से भी अधिक ट्रैक्टरों में अवैध रूप से बालू लोड किया जा रहा था. बालू के धंधे में शामिल मजदूर धड़ल्ले से नदी से बालू निकालने में मशगूल थें. हालाकि इसकी जानकारी एसडीओ का दे दी गई हैं. उनके द्वारा जल्द ही बड़ी कार्रवाई हो सकती हैं. फिलहाल एक घंटे तक हमारी टीम बालू माफ़ियायों की हरकत कैमरे में कैद करती रही मगर कोई जिम्मेदार नदी घाट के आसपास नजर नहीं आया. ऐसे में साफ है कि बालू माफ़ियायों की पहुंच ऊपर तक है और उन्हें किसी का खौफ नहीं है. जिला प्रशासन भी बालू के खेल में चुप्पी साधे हुए हैं. कांड्रा थाना क्षेत्र में इतना बड़ा बालू का खेल चल रहा है और थाना प्रभारी की इसकी भनक भी नहीं है, यह चिंता करने का विषय हैं. फिलहाल सरकारी राजस्व की चोरी से सरकार को करोड रुपए का नुकसान हो रहा है. अब देखना यह दिलचस्प होगा की कार्रवाई कितनी दूर तक होती है
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