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कामाख्या मंदिर: जहाँ नहीं होती कोई मूर्ति, फिर भी होता है देवी का पूजन

Byadmin

Sep 24, 2025

 

कामाख्या मंदिर, भारत के सबसे रहस्यमय और पूजनीय मंदिरों में से एक है, जो असम के गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे तांत्रिक पूजा का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहाँ देवी की कोई मूर्ति नहीं है, फिर भी लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

क्या है मान्यता और पूजा का तरीका?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव देवी सती के मृत शरीर को लेकर घूम रहे थे, तब भगवान विष्णु ने उन्हें शांत करने के लिए सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए थे। मान्यता है कि इसी स्थान पर देवी सती का योनि भाग गिरा था। इसी कारण इस मंदिर में देवी की कोई प्रतिमा नहीं है, बल्कि एक गुफा में एक प्राकृतिक पत्थर का हिस्सा है, जिसे योनि के रूप में पूजा जाता है। इस पत्थर से हमेशा एक जलधारा बहती रहती है।

हर साल जून के महीने में, अंबुबाची मेला लगता है, जब माना जाता है कि देवी का मासिक धर्म चक्र चलता है। इस दौरान मंदिर के कपाट तीन दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इन दिनों में मंदिर में बहने वाला जल लाल हो जाता है। यह एक ऐसा चमत्कार है जो भक्तों को गहरी आस्था से भर देता है।

कैसे पहुंचें कामाख्या मंदिर?

कामाख्या मंदिर तक पहुंचना बेहद आसान है।

हवाई मार्ग: गुवाहाटी का लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (GAU) देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे से मंदिर तक पहुंचने के लिए टैक्सी या कैब आसानी से उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग: गुवाहाटी रेलवे स्टेशन देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 8 किलोमीटर है।

सड़क मार्ग: गुवाहाटी राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा हुआ है, जिससे आप बस या अपनी गाड़ी से भी यहाँ पहुंच सकते हैं। नीलाचल पहाड़ी की तलहटी से मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो-रिक्शा और टैक्सी उपलब्ध हैं।

कामाख्या मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा स्थान है जहाँ आस्था, रहस्य और प्रकृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।


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