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कृषि मंत्री ने ICAR-IIMR, लुधियाना के ₹37.56 करोड़ के नए भवन का किया उद्घाटन; मक्का को ‘अन्नदाता से इंधनदाता’ बनने की आधारशिला बताया

Byadmin

Oct 15, 2025

 

लुधियाना, 14 अक्टूबर :

केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) के नवनिर्मित प्रशासनिक-सह-प्रयोगशाला भवन का उद्घाटन किया। यह अत्याधुनिक भवन ₹37.56 करोड़ की लागत से बना है, जहाँ जीनोमिक्स, जैव-प्रौद्योगिकी, फसल विविधीकरण और डिजिटल कृषि जैसे क्षेत्रों पर अनुसंधान किया जाएगा।

उद्घाटन के अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह बिट्टू, पंजाब के कृषि मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुड्डियां और महानिदेशक (आईसीएआर) डॉ. एम. एल. जाट सहित 1000 से अधिक मक्का हितधारक उपस्थित रहे।

केंद्रीय कृषि मंत्री के संबोधन के मुख्य बिंदु

श्री चौहान ने अपने संबोधन में मक्का के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा:

मक्का: खाद्य और जैव-ऊर्जा सुरक्षा की आधारशिला: उन्होंने कहा कि मक्का अब सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि भारत की खाद्य, पोषण, पशु आहार, औद्योगिक और जैव-ऊर्जा सुरक्षा की आधारशिला बन चुकी है।

उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि: पिछले वर्ष मक्का उत्पादन में 10.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई और कुल उत्पादन 42 मिलियन टन तक पहुंचा। इस वर्ष उत्पादन 47 से 50 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है।

एथेनॉल निर्माण में योगदान: मक्का अब एक औद्योगिक फसल के रूप में उभर रही है, जिसका एथेनॉल निर्माण में लगभग 50 प्रतिशत योगदान है। इससे किसानों की आय बढ़ी है, और देश ने ₹1.44 लाख करोड़ के कच्चे तेल आयात की बचत की है।

किसान ‘अन्नदाता से इंधनदाता’: उन्होंने कहा कि मक्का से किसानों को लगभग ₹45,000 करोड़ का लाभ हुआ है, जो भारतीय किसानों को “अन्नदाता से इंधनदाता” बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पंजाब को नेतृत्व करने का आह्वान: उन्होंने कहा कि अन्य राज्य मक्का उत्पादकता में तेजी से प्रगति कर रहे हैं, इसलिए अब पंजाब को उदाहरण बनकर नेतृत्व करना चाहिए।

पीएम फसल बीमा योजना में बदलाव: उन्होंने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा की इकाई को ब्लॉक स्तर से घटाकर व्यक्तिगत किसान स्तर तक कर दिया गया है, और पंजाब से इस योजना में शामिल होने का आग्रह किया।

राष्ट्रीय परामर्श और संवाद कार्यक्रम

उद्घाटन के साथ ही 1000 से अधिक मक्का हितधारकों के साथ एक राष्ट्रीय परामर्श बैठक आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य मक्का की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय में वृद्धि के उपायों पर विचार-विमर्श करना था।

इसके बाद आयोजित हितधारक संवाद कार्यक्रम में पशु आहार उद्योग, बायोएथेनॉल उद्योग, कृषि यंत्र निर्माण तथा साइलेंज उद्यम से जुड़े प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्रों की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की।

आईआईएमआर की उपलब्धियाँ (डॉ. एम. एल. जाट के अनुसार)

आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम. एल. जाट ने कहा कि आईआईएमआर का उद्देश्य केवल अनुसंधान तक सीमित नहीं है, बल्कि फसल विविधीकरण, औद्योगिक उपयोग और किसानों की स्थायी आय सुनिश्चित करना भी है।

यंत्रीकृत खेती और संरक्षण कृषि: मक्का की खेती पूरी तरह यंत्रीकृत हो चुकी है, जिससे श्रम, समय और लागत कम हुई है। मक्का को संरक्षण खेती के तहत उगाया जा सकता है, जो मिट्टी की सेहत सुधारने और जल संरक्षण को बढ़ावा देता है।

पर्यावरण अनुकूल विकल्प: मक्का से निर्मित पॉलीलैक्टिक एसिड बायोपॉलिमर अब बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के निर्माण में एक क्रांतिकारी विकल्प बन रहा है, जो “ग्रीन इंडिया–क्लीन इंडिया” विज़न को सशक्त बनाएगा।

आईआईएमआर निदेशक की जानकारी

संस्थान के निदेशक डॉ. हनुमान सहाय जाट ने बताया:

संस्थान द्वारा 45 से अधिक उच्च उत्पादक हाइब्रिड किस्में विकसित की गई हैं, जिन्हें निजी कंपनियों ने अपनाया है।

पोषण सुरक्षा के लिए 24 जैव-संवर्धित किस्में विकसित की गई हैं।

वर्तमान में आईआईएमआर द्वारा 15 राज्यों के 78 जिलों में मक्का आधारित कैचमेंट क्षेत्र विकसित किए गए हैं।

फील्ड प्रदर्शन

कार्यक्रम के बाद नूरपुर बेट गांव में फसल अवशेष प्रबंधन पर लाइव प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिसमें हैप्पी सीडर, स्मार्ट सीडर जैसी तकनीकों का प्रदर्शन हुआ। दोराहा गांव में मधुमक्खी उद्यम एवं व्यवसाय मॉडल का भी दौरा किया गया।

क्या आप मक्का के एथेनॉल निर्माण में योगदान या जैव-संवर्धित किस्मों पर संस्थान के अनुसंधान के बारे में और अधिक जानना चाहेंगे?

 

 

 


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