

भुवनेश्वर: ओडिशा के सिनेमा के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है, जब जितेंद्र मिश्रा द्वारा लिखित और निर्देशित फिल्म ‘बाघुनी (डांस लाइक ए टाइगर)’ प्रतिष्ठित कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित होने वाली राज्य की पहली अंतर्राष्ट्रीय सह-निर्माण फिल्म बन गई है। इस अभूतपूर्व उपलब्धि ने न केवल ओडिया फिल्म उद्योग को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है, बल्कि भारतीय सिनेमा की विविधता और क्षमता का भी प्रदर्शन किया है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त फिल्म निर्माता जितेंद्र मिश्रा की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का पहला झलक 15 मई को कान्स फिल्म फेस्टिवल में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित विशेष ‘इंडिया पैवेलियन’ में प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर फिल्म से जुड़े कई महत्वपूर्ण व्यक्ति और सिनेमा जगत की जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं, जिन्होंने फिल्म की अनूठी कहानी और निर्माण की सराहना की।

‘बाघुनी’ एक महत्वपूर्ण सह-निर्माण प्रयास है, जो भारत के राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC), यूके की ग्लोकल फिल्म्स यूके लिमिटेड और भारत की सिनेमा4गुड प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक सफल साझेदारी का परिणाम है। यह सहयोग न केवल फिल्म के वित्तीय पहलुओं को मजबूत करता है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहुंच और वितरण को भी सुनिश्चित करता है।

ओडिशा में जन्मे और वर्तमान में लंदन में स्थित निर्माता पार्थ पांडा ने इस महत्वपूर्ण परियोजना के लिए NFDC के साथ हाथ मिलाया है। यह साझेदारी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दो दशकों से अधिक समय के बाद ओडिशा में राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम की महत्वपूर्ण वापसी का प्रतीक है। पांडा का स्थानीय ज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय अनुभव फिल्म को एक मजबूत आधार प्रदान करता है।
फिल्म की कहानी प्रतिरोध, लचीलापन और सामाजिक परिवर्तन के शक्तिशाली विषयों के इर्द-गिर्द घूमती है। अभिनेता सब्यसाची मिश्रा मुख्य भूमिका में हैं, और उनके सशक्त अभिनय से फिल्म में गहराई और संवेदनशीलता आने की उम्मीद है। ‘बाघुनी’ उन गहरी जड़ें जमाए हुए सामाजिक परंपराओं पर सवाल उठाती है, जो अक्सर प्रगति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता में बाधा बनती हैं।
फिल्म की पटकथा राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता लेखक शंखजीत डे और डॉ. सुलग्ना मोहंती ने मिलकर लिखी है, जो कहानी को एक मजबूत साहित्यिक आधार प्रदान करती है। जाने-माने फिल्म निर्माता उत्पल बोरपुजारी पटकथा सलाहकार के रूप में फिल्म से जुड़े हैं, जबकि सुशांत मणि ने फिल्म के संवादों को जीवंतता प्रदान की है। इन अनुभवी लेखकों और निर्देशकों की टीम ने मिलकर एक ऐसी कहानी बुनी है जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करेगी और उन्हें भावनात्मक रूप से जोड़ेगी।
‘बाघुनी’ की शूटिंग सितंबर और अक्टूबर 2025 में ओडिशा और लंदन के विभिन्न लोकेशंस पर की जाएगी। यह फिल्म कई भाषाओं – ओडिया, संबलपुरी, कोशली और हिंदी में बनाई जाएगी, जो इसकी व्यापक दर्शकों तक पहुंचने की क्षमता को दर्शाती है। बहुभाषी होने के कारण, फिल्म ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को भी प्रदर्शित करेगी।
कान्स फिल्म फेस्टिवल में ‘बाघुनी’ का प्रदर्शन ओडिशा के फिल्म उद्योग के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। यह न केवल राज्य की प्रतिभा और कहानी कहने की क्षमता को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाता है, बल्कि भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के नए रास्ते भी खोलता है। ‘बाघुनी’ जैसी फिल्में यह साबित करती हैं कि क्षेत्रीय सिनेमा में भी ऐसी कहानियां हैं जो सार्वभौमिक हैं और दुनिया भर के दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं। यह फिल्म निश्चित रूप से भारतीय सिनेमा के मानचित्र पर ओडिशा को एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगी और युवा फिल्म निर्माताओं को प्रेरित करेगी कि वे अपनी कहानियों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ले जाएं।
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