

पटना: बिहार रक्षा वाहिनी स्वयं सेवक संघ अपनी 21 सूत्री मांगों को लेकर पटना मिलर हाई स्कूल से चलकर गर्दनीबाग धरना स्थल पर पहुंचा, जहां सभी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ गए. वहीं संघ के महासचिव सुदेश्वर प्रसाद ने बताया कि केंद्रीय समिति पटना के निर्देश पर 21 सूत्री मांगों को लेकर यहां अनिश्चितकालीन हड़ताल किया गया है.
होमगार्ड जवानों का अनिश्चितकालीन धरना: संघ के महासचिव ने कहा कि सरकार को अल्टीमेटम दिया गया कि अगर सरकार नहीं मानेगी तो हम लोग अपने संघ के आह्वान पर आगे जोरदार आंदोलन करेंगे और सरकार की विधि व्यवस्था भी चरमरा जाएगी.

‘पक्ष में आया था सुप्रीम कोर्ट का आदेश’: होमगार्ड के कर्मियों ने समान काम के बदले समान वेतन और अन्य सुविधाओं की मांग उठाई. प्रदर्शनकारी सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि पुलिसकर्मियों की तरह काम करने के बाद भी समान वेतन और सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी अविलंब सुविधा देने का निर्देश दिया है.

“वर्तमान में 50% महंगाई भत्ता अन्य कर्मचारियों को दिया जाता है. साथ ही महिला होमगार्ड को 2 दिन का विशेष अवकाश एवं मातृत्व अवकाश भी दिया जाए.”-सुदेश्वर प्रसाद,महासचिव,बिहार रक्षा वाहिनी स्वयं सेवक संघ
21 सूत्री मांग: जहां एक तरफ विधानसभा सत्र चल रहा है वहीं दूसरी तरफ बिहार गृह रक्षा वाहिनी के कर्मियों के द्वारा धरनास्थल पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है. प्रदर्शन में शामिल होमगार्ड के प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार ठाकुर ने बताया कि समान काम का समान वेतन चाहिए. 21 सूत्री मांग हम लोगों की पहले से है, लेकिन अभी तक सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाई है.
“कोर्ट का भी फैसला गृह रक्षा वाहिनी (होमगार्ड) के पक्ष में आया है. 774 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है. 33000 प्रति माह के हिसाब से मिलना चाहिए था, लेकिन दोहरी नीति अपनाई जा रही है. पुलिसकर्मियों के बराबर दिन रात हमलोग बिहार सरकार के लगभग विभागों में काम करते हैं. CL वगैरह का भी लाभ नहीं मिलता है. यहां तक की बीमार पड़ने पर सैलरी कट जाती है. राज्य भर की विधि व्यवस्था हम ठप करना नहीं चाहते हैं. सरकार आंदोलन समाप्त कराए नहीं तो होमगार्ड मर कर ही यहां से जाएगा”- अरुण कुमार ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष, होमगार्ड बिहार
‘परिवार पालना हो रहा मुश्किल’: होमगार्ड कर्मी नंद किशोर ठाकुर ने बताया कि जितनी सैलरी मिलती है, उसमें घर परिवार नहीं चल पाता है. मजबूरन बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना पड़ता है. रोस्टर के अनुसार ड्यूटी दी जाती है. रोस्टर से नाम अगर हट गया तो उस दिन की ना ड्यूटी मिलती है और ना सैलरी.
“ड्यूटी में नाम आने के लिए रोस्टर आने का इंतजार करना पड़ता है. कभी-कभी 10 दिनों तक भी रोस्टर में नाम नहीं आता है. इंतजार में घर पर बैठना पड़ता है. होमगार्ड के जवान बिहार के पुलिस स्टेशन पर भी ड्यूटी करते हैं. आज 50 प्रतिशत जवान काम काज छोड़कर अपने हक की लड़ाई के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं और 50 प्रतिशत ड्यूटी पर हैं.”- नंद किशोर ठाकुर,होमगार्ड कर्मी
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