
कथित रूप से जहरीले कफ सिरप के कारण बच्चों की मौतों के मामलों में सरकार और स्वास्थ्य प्राधिकरण सख्ती दिखा रहे हैं. कई दवा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं और उनके उत्पाद बाजार से हटाए जा रहे हैं.
यह कदम -प्रतिदिन की दवाओं की सुरक्षा की कड़ी जाँच के हिस्से के रूप में उठाए गए हैं, ताकि बच्चों की युद्ध छेड़े जाने वाली मौतों को रोका जा सके. साथ ही, निगरानी समितियाँ और कानून अन्य दवाओं के विक्रय और वितरण पर कड़े नियंत्रण लगा रहे हैं, ताकि पैथोलॉजिक परीक्षण और फॉर्मूला में किसी प्रकार की कमी के कारण दोबारा घटनाएं न हों.वहीं, संसद-नियंत्रित सीएजी की हालिया रिपोर्ट में मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर गंभीर संकेत मिले हैं. रिपोर्ट के अनुसार दवाओं की कमी और डॉक्टरों की कमी जैसे बुनियादी संसाधनों की कमी ने रोगी देखभाल की गुणवत्ता पर असर डाला है.

इससे सरकारी अस्पतालों और निजी संस्थानों दोनों में राहत और सुधार की जरूरत उजागर होती है. इस निष्कर्ष से यह स्पष्ट होता है कि केवल दवा पर रोक-टोक पर्याप्त नहीं है; ढांचे में सुधार, आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना, और ग्रामीण-शहरी क्षेत्र में समान स्वास्थ्य पहुँच सुनिश्चित करना भी उतना ही अहम है.सरकार ने यह संदेश स्पष्ट किया है कि बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता है और खामियों पर कठोर कार्रवाई जारी रहेगी.

उपयुक्त कानूनन कदमों के साथ, दवा निर्माताओं के लिए मानक निर्धारित किए जा रहे हैं ताकि ऐसे नुकसान दोबारा न हों. यह मुद्दा स्वास्थ्य क्षेत्र के समेकित सुधार और पारदर्शिता के लिए एक विस्तृत योजना माँगता है, जिसमें निगरानी, अनुपालन और जवाबदेही के उपाय प्रमुख होंगे.
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