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बिहार में सुखद बदलाव: बाल विवाह की दर में 70% तक की भारी कमी

Byadmin

Sep 26, 2025

 

पटना: बड़े पैमाने पर बाल विवाह के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले बिहार राज्य में अब इस सामाजिक बुराई में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है। बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले देश के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में लड़कियों के बाल विवाह की दर में 70% और लड़कों के बाल विवाह की दर में 68% की बड़ी कमी आई है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

जेआरसी की रिपोर्ट ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो: एविडेंस टूवर्ड्स ए चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ में यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

सबसे प्रभावी उपाय: रिपोर्ट बताती है कि गिरफ्तारियां और एफआईआर जैसी कानूनी कार्रवाई बिहार में बाल विवाह रोकने का सबसे कारगर उपाय साबित हुई हैं। 68% उत्तरदाताओं ने कानूनी सख्ती को अहम माना।

जागरूकता का असर: 97% उत्तरदाताओं ने जागरूकता अभियानों को सबसे प्रभावी औजार बताया।

कानून की जानकारी: 99% उत्तरदाताओं को बाल विवाह रोकथाम से जुड़े कानूनों की जानकारी है।

जमीनी बदलाव: बिहार के 150 गाँवों में हुए सर्वे में 92% उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके गाँव में बाल विवाह या तो पूरी तरह बंद हो गया है या काफी हद तक उस पर लगाम लग चुकी है।

प्रमुख कारण: आर्थिक स्थिति की कमजोरी (90%), बच्चों के लिए अच्छा जोड़ीदार मिलने की चाह (65%) और सुरक्षा की चिंता (39%) अभी भी बाल विवाह के पीछे प्रमुख कारण हैं।

समन्वित प्रयासों का परिणाम

जेआरसी के संयोजक रवि कांत ने बिहार सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि लंबे समय से बिहार में बाल विवाह की दर देश में सबसे अधिक थी, लेकिन अब सरकार ने ग्राम पंचायतों की जवाबदेही तय करने, पंचायतों के सशक्तिकरण और व्यापक जागरूकता अभियान चलाने जैसे कदम उठाए हैं, जिसके नतीजे अब दिखने लगे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन समन्वित प्रयासों से बिहार 2030 से पहले बाल विवाह से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा।

यह गिरावट केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ जेआरसी के 32 सहयोगी संगठनों द्वारा बिहार के 38 जिलों में चलाए जा रहे निरंतर प्रयासों का परिणाम है।

 

 


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