

रिपोर्ट :-सुनील आर्य
बिहार में कोसी जल प्रलय लेकर आ चुकी है. आधी रात को कई गांवों में कोसी नदी की तीव्र धारा प्रवेश कर जाएगी. पानी का वेग इतना प्रबल है कि कोसी का पानी कोसी बैराज के ऊपर आ गया है. उसकी धारा से पुल पर संकट मंडराने लगा है. प्रशासन इलाके में लगातार माइकिंग कराकर लोगों को ऊंचे स्थानों की ओर जाने के लिए सचेत कर रहा है
कोसी बैराज पर चढ़ा पानी
सुपौल: बिहार में 56 वर्षों के बाद शनिवार को कोसी नदी का जलस्तर पांच लाख क्यूसेक से ऊपर रहा है. शनिवार की शाम 7 बजे कोसी बराज पर 05 लाख 79 हजार 390 क्यूसेक व बराह क्षेत्र (नेपाल) में 04 लाख 99 हजार 25 क्यूसेक बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया. जानकारी के अनुसार 10 अक्टूबर 1968 में इससे अधिक 07 लाख 88 हजार 200 क्यूसेक पानी आया था.

बेचैन हुई बैराज के इंजीनियर्स : पिछले 18 घंटे में कोसी बैराज पर 04 लाख 13 हजार 745 क्यूसेक व बराह क्षेत्र में 03 लाख 21 हजार 400 क्यूसेक पानी बढ़ने से अभियंताओं की बैचेनी बढ़ी है. नेपाल के पहाड़ी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण दोनों जगहों पर पानी बढ़ने की संभावना जतायी जा रही है.

कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी
कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी : नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि व तेज बहाव की वजह से पानी तेजी से हिलोरें मार रहा है. यह पानी बैराज पर भी पहुंच रहा है. लिहाजा कोसी बैराज पर सभी वाहनों का परिचालन 3 दिन के लिए बंद कर दिया गया है. हालांकि सूचना है कि आवश्यक वाहनों का परिचालन बैराज पर जारी रहेगा.
कोसी बैराज पर बहने लगा पानी
एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें कोसी नदी का पानी बैराज के ऊपर उछलता हुआ दिखाई दे रहा है. थोड़ी ही देर बार उछाल तो बंद हो गया लेकिन पानी का आना नहीं रुका. ऐसे में बैराज के डैमेज होने के अंदेशा को लेकर इंजीनियर्स की चिंता बढ़ गई है. सुपौल के जिलाधिकारी कौशल किशोर ने किसी भी डैमेज से इंकार किया है.
“कोसी बैराज को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं है. हमारे इंजीनियर बैराज पर पल पल नजर बनाए हुए हैं. हम लगातार अपडेट ले रहे हैं. फिलहाल यातायात को 3 दिन के लिए रोक दिया गया है.”- कौशल कुमार, डीएम, सुपौल
देर रात तक तटबंध के भीतर फैल जायेगा पानी : जानकार कोसी की रफ्तार देखकर बता रहे हैं कि लगातार कोसी नदी के डिस्चार्ज में बढ़ोत्तरी के बाद तटबंध के अंदर बसे हजारों गांव में नदी का पानी फैल जायेगा. इसके बाद इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि तटबंध के भीतर जल प्रलय की स्थिति उत्पन्न न हो जाए. ऐसे स्थिति में बाढ़ पीड़ितों की जान-माल सुरक्षा करना जिला प्रशासन के लिए चुनौती साबित होगा.
There is no ads to display, Please add some





Post Disclaimer
स्पष्टीकरण : यह अंतर्कथा पोर्टल की ऑटोमेटेड न्यूज़ फीड है और इसे अंतर्कथा डॉट कॉम की टीम ने सम्पादित नहीं किया है
Disclaimer :- This is an automated news feed of Antarkatha News Portal. It has not been edited by the Team of Antarkatha.com