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देवउठनी एकादशी से शुरू हो रहे शादी विवाह के मौसम में बाल विवाह के रोकथाम के लिए सजग रहे प्रशासन।

Byadmin

Nov 2, 2025

 

 

लखीसराय – देवउठनी एकादशी से शुरू होने वाले शादी विवाह के मौसम के मद्दे नजर जिले में बाल विवाह के खिलाफ मुहिम चला रहे गैर सरकारी संगठन विकासार्थ ट्रस्ट ने जिला प्रशासन व जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) से बाल विवाह की रोकथाम के लिए सख्त निगरानी और अत्यधिक सतर्कता बरतने का अनुरोध किया है।

संगठन ने जिला प्रशासन को भेजी गई चिट्ठी में बाल विवाहों की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए कड़ी चौकसी की अपील की है

ताकि ऐसी कोई भी घटना प्रशासन की जानकारी से ओझल नहीं रह सके और तत्काल कार्रवाई की जा सके, साथ ही जन जन तक यह संदेश पहुंचना आवश्यक है कि यदि किसी भी व्यक्ति के पास किसी संभावित बाल विवाह की जानकारी है तो वह तत्काल पुलिस हेल्पलाइन 112 चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 या स्थानीय थाने को सूचित करें ताकि अपराध को रोका जा सके।

जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन (जेआरसी )का सहयोगी संगठन विकासार्थ ट्रस्ट बाल विवाह के खात्मे के लिए जेआरसी की राष्ट्रव्यापी अभियान चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया के तहत जिले को 2030 तक बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए कार्य कर रहा है जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन देश में बाल विवाहों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए गैर सरकारी संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है

पिछले कुछ वर्षों में यह नेटवर्क अपने सामग्र थ्री पी मॉडल प्रोटेक्शन (संरक्षण), प्रिपरेशन (रोकथाम) और प्रॉसीक्यूशन (कानूनी कार्रवाई) के माध्यम से 2030 तक बाल विवाह समाप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। संगठन ने एक नवंबर से शुरू हो रहे शादी ब्याह के मौसम को देखते हुए जिला प्रशासन से सरपंचो, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पुलिस को अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश देने की अपील की है इसके साथ ही संगठन ने आज से ही गांव और स्कूल में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान को गति देने का फैसला करते हुए धार्मिक नेताओं से भी इस मौके पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की अपील की है। विकासार्थ ट्रस्ट के सचिव सुनीता सिंह ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने 2024 के अपने ऐतिहासिक फैसले में जिलों को बाल विवाहों के रोकथाम के लिए सतर्क रहने को कहा है हम जिला प्रशासन से सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों पर अमल की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने भी वर्ष 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य के साथ 27 नवंबर 2024 को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की थी। आज हम बाल विवाह के खात्मे के मुहाने पर खड़े हैं हालांकि इस दिशा में हमारे प्रयास अरसे से जारी है लेकिन यह एक अहम समय है क्योंकि बहुत सारे परिवार इस शुभ मुहूर्त का उपयोग बच्चों की शादी के लिए करते हैं इस शुभ मुहूर्त की गरिमा को बनाए रखने के लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एक भी बाल विवाह नहीं होने पाए। विकासार्थ ट्रस्ट बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन का सहयोगी संगठन है।

संगठन भारत सरकार की ओर से पिछले साल शुरू किए गए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के नक्शे कदम पर पिछले कई वर्षों से जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए लगातार जमीनी प्रयास कर रहा है सुरक्षा बचाव व अभियोजन मॉडल पर अमल करते हुए संगठन स्कूलों समुदायों व गावों में जागरूकता अभियान चला रहा है बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में धार्मिक नेताओं को जोड़ रहा है और अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ करीबी सहयोग से काम कर रहा है।

संगठन ने जिला प्रशासन को सभी मुखिया को यह निर्देश देने को कहा है कि वह अपने गांव में होने जा रहे हैं सभी विवाहों की निगरानी करें और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अपने इलाके में विवाहों की सूची तैयार करने को कहे, साथ ही स्कूलों को भी सतर्क किया जाए कि इन दोनों अगर कोई बच्चा गैर हाजिर है तो वह इसकी वजह पता करें। संगठन ने सभी धार्मिक नेताओं और विवाह समारोह में टेंट, सजावट या बैंड बाजा मुहैया करने वाले सेवा प्रदाताओं से अनुरोध किया है कि वह सुनिश्चित करें कि वह किसी भी बाल विवाह में अपनी सेवाएं देकर इसका हिस्सा नहीं बनेंगे। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 के अनुसार जो भी किसी भी तरह से बाल विवाह में भागीदारी करता है सेवाएं प्रदान करता है इसे संपन्न या निर्देशित करता है उसे 2 साल का सश्रम कारावास और एक लाख रुपए जुर्माना या दोनों हो सकता है।

इसमें वह भी शामिल है जो इसे प्रोत्साहित करते हैं स्वीकृति देते हैं या जानबूझकर इसकी जानकारी देने में नाकाम रहते हैं जिसमें आयोजन अतिथि और सेवा प्रदाता भी शामिल है।


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