

औरंगाबाद से अविनाश कुमार की रिपोर्ट
औरंगाबाद, 7 अगस्त 2025 — “मध्यस्थता राष्ट्र के लिए” विशेष अभियान और आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने हेतु आज जिला विधिक सेवा प्राधिकार के प्रकोष्ठ में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्री लाल बिहारी पासवान ने की। इसमें जिले के सभी थाना प्रभारियों को आमंत्रित किया गया था

बैठक में प्राधिकरण की सचिव श्रीमती तान्या पटेल और अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्री संदीप सिंह भी उपस्थित रहे। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने कहा कि मध्यस्थता एक आधुनिक, निष्पक्ष और दबाव रहित प्रक्रिया है, जिससे विवादों का शीघ्र एवं खर्चरहित समाधान संभव है। यह प्रक्रिया पक्षकारों को आपसी सहमति से समाधान की ओर प्रेरित करती है और सामाजिक सद्भाव को भी प्रोत्साहित करती है।

उन्होंने बताया कि यह विशेष मध्यस्थता अभियान 1 जुलाई से शुरू हुआ है और 30 सितंबर 2025 तक चलेगा। इस दौरान व्यवहार न्यायालय, औरंगाबाद एवं अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय, दाउदनगर में लंबित सुलह योग्य वादों का निपटारा मध्यस्थता के माध्यम से किया जाएगा।
सचिव तान्या पटेल ने सभी थानाध्यक्षों से अपील की कि वे वैवाहिक विवाद, दुर्घटना दावा, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस, उपभोक्ता मामले, ऋण वसूली, भूमि विवाद जैसे मामलों को चिन्हित कर मध्यस्थता के माध्यम से समाधान की दिशा में सहयोग करें। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप संचालित की जा रही है।
बैठक में आगामी 13 सितंबर को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत की तैयारियों पर भी चर्चा की गई। थानाध्यक्षों को निर्देश दिया गया कि वे अपने क्षेत्र में लोक अदालत के संबंध में जागरूकता फैलाएं, चिन्हित वादों में पक्षकारों से संपर्क करें और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी अभियान में शामिल करें ताकि अधिक से अधिक मामलों का समाधान हो सके।
अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि प्राधिकरण द्वारा थानावार वादों की सूची भेज दी गई है। थानाध्यक्ष इन मामलों में पक्षकारों से संवाद स्थापित कर सुलह के लिए प्रेरित करें, और यदि काउंसलिंग की आवश्यकता हो तो संबंधित न्यायालय या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क कराएं।
साथ ही निर्देश दिया गया कि लोक अदालत से संबंधित नोटिस की सही तामिला हो, और तामिला के दौरान पक्षकारों का नाम और संपर्क संख्या अवश्य अंकित कराएं। यदि सूचक थाना क्षेत्र से बाहर निवास करता है, तो संबंधित थाना को सूचना देकर प्रक्रिया पूरी कराना सुनिश्चित करें।
अंत में सभी थानाध्यक्षों से अपील की गई कि वे अपने थाना क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक कर उन्हें भी लोक अदालत और मध्यस्थता अभियान के बारे में जागरूक करें ताकि गांव-गांव में विवाद रहित और सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार किया जा सके।
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