
सरायकेला/ईचागढ़ : क्या जिले के उपायुक्त के निर्देश पर खनन पदाधिकारी का कार्रवाई ईचागढ़ थाना क्षेत्र में करना गलत है? या फिर ईचागढ़ थाना प्रभारी द्वारा कार्रवाई नहीं करना वह सही है?
ऐसे कई अहम सवाल है जो जिले वासियों के मन में सवाल उत्पन्न कर रही हैं। एक दिन पूर्व ही ईचागढ़ थाना क्षेत्र में जिले की सबसे बड़ी कार्रवाई उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह के निर्देशानुसार खनन पदाधिकारी ज्योति शंकर सतपति के नेतृत्व में खनन विभाग के टीम द्वारा जारगोडीह और बिरिडीह में साढ़े सात लाख घनफीट अवैध बालू भंडारण जप्त किया गया। जप्त किए गए अवैध बालू ,1500 हाईवा के करीब बताया जा रहा हैं, जिसकी अनुमानित लागत 2 से 3 करोड रुपए तक बताया गया है। अवैध खनन एवं परिवहन पर रोक लगाने के लिए उपायुक्त के निर्देश पर जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में कार्रवाई की जा रही है। इस तरह की कार्रवाई निरंतर की जा रही है, लेकिन जब ईचागढ़ थाना क्षेत्र की बात होती है तो इस कार्रवाई में कुछ फर्क दिखने लगते हैं। अमूमन जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में कुछ ट्रैक्टर, जेसीबी एवं कुछ हजार सीएफटी अवैध बालू भंडारण जप्त होती है। लेकिन जब ईचागढ़ में कार्रवाई होती है, तो 1- 2 लाख नहीं, साढ़े सात लाख सेफ्टी अवैध बालू भंडारण जप्त किया जाता है। इस कार्रवाई को करने के लिए जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर का दूरी तय कर खनन पदाधिकारी पहुंचकर कार्रवाई करती है। इस तरह की कार्रवाई ईचागढ़ थाना क्षेत्र में एक बार नहीं, कई बार खनन पदाधिकारी द्वारा की गई है। अहम सवाल उठता है कि ईचागढ़ थाना क्षेत्र में इतने बड़े एरिया में अवैध बालू भंडारण किया जा रहा है, इस अवैध बालू भंडारण के लिए कई सारे ट्रैक्टर उपयोग किया गया होगा, जेसीबी भी लगे होंगे एवं इस अवैध बालू भंडारण को उठाकर वाहन में लोड करके जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र में भी भेजा जाता होगा। जिसकी सीसीटीवी फुटेज चांडिल टोल प्लाजा से निकल सकती हैं।

अहम सवाल यह है कि ईचागढ़ थाना प्रभारी इस मामले में क्यों चुप्पी साधे हुए हैं। ईचागढ़ थाना के नाक के सामने यह अवैध कारोबार फल- फूल रहा है। इस अवैध कारोबार में आदित्यपुर से लेकर ईचागढ़ तक सिंडिकेट काम कर रहे हैं। इस अवैध खनन को रोकने के लिए खनन पदाधिकारी निरंतर काम कर रही है।

यह कार्रवाई सिर्फ खनन पदाधिकारी द्वारा ही क्यों दिखती है। क्यों इचागढ़ थाना प्रभारी आदित्य पांडे द्वारा कार्रवाई नहीं होती है।अपने कार्यों का दायित्व से क्यों पीछे हटते हैं? ऐसे बहुत से सवाल है जो आम जनता इसका जवाब जानना चाहती है।
ईचागढ़ थाना क्षेत्र में बहुत सारे बालू घाट है, जहां दिन-रात वाहन चलती है लेकिन मात्र एक ही वाहन की जांच की जाती है जिसमें वाहन मालिक द्वारा भी ईचागढ़ थाना प्रभारी के ऊपर आरोप लगाए गए हैं।
कुछ महीने पूर्व राज्यपाल के आगमन को लेकर ईचागढ़ थाना प्रभारी द्वारा एक साधारण व्यक्ति को होमगार्ड का ड्रेस पहनाकर ड्यूटी पर तैनात किया गया था। जिसकी ड्यूटी के दौरान सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है, इस मामले को लेकर अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी खूब खबरे चली। लेकिन आज तक जांच कागजों के पन्नों तक ही सीमित रह गई।
चलिए एक और मामला बताते हैं, आमतौर पर वाहन चेकिंग वरीय पदाधिकारी एवं यातायात पदाधिकारी द्वारा की जाती है। लेकिन इचागढ़ थाना के ठीक सामने होमगार्ड जवान वाहनों के मोटरसाइकिल जांच करते हुए पाए गए थे, इस मामले को भी लेकर खूब अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खबरें छपी।
कुछ दिनों पूर्व स्टॉक संचालक द्वारा उपायुक्त के समक्ष ईचागढ़ थाना प्रभारी विक्रम आदित्य पांडे के कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए थे,जहां उन्होंने आरोप लगाया था कि वेध चालान चालान रोककर जांच की जाती है, वही अवैध रूप से चल रहे कई सारे वाहन को छोड़ दिया जाता है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मात्र एक से दो वाहन के पेपर जांच होती है,अगर टोल प्लाजा से 2 से 3 महीना के वाहनों के डिटेल निकाली जाए तो कई ऐसे राज निकलेंगे, जिसे छुपाने में कई दिनों तक मशक्कत करने पड़ेगी।
ऐसे बहुत से मामले हैं जो ईचागढ़ थाना प्रभारी विक्रम आदित्य पांडे के ऊपर आरोप लगते रहे हैं।
अहम सवाल उठता है कि झारखंड सरकार के करोड़ रुपयों के राजस्व की चोरी पर लगाम लगाने के लिए उपायुक्त के निर्देश पर खनन विभाग दिन रात कड़ी मेहनत कर रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ईचागढ़ थाना प्रभारी की कार्यशैली संदिग्ध हैं, ग्रामीण पद से हटाने की मांग की है।
स्थानीय ग्रामीण एवं जिलेवासी भी जिले के एसपी मुकेश कुमार लुणायत से मामले में संज्ञान लेने की आशा कर रही है।
स्थानीय ग्रामीण एवं जिलेवासी भी स्थानीय विधायक से कार्रवाई की मांग की है।
बालू से सरकार को करोड़ो रूपयों का राजस्व की प्राप्ति होती है, वही ईचागढ़ थाना क्षेत्र में अवैध बालू की चोरी ग्रामीणों के विकास को रोक रही हैं।
क्या डीसी के निर्देश पर खनन पदाधिकारी का कार्रवाई करना गलत है या फिर स्थानीय थाना प्रभारी द्वारा कार्रवाई नहीं करना वह सही है?
जनता सब देख रही है और उन्हें न्याय की उम्मीद है।
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