

नवीनगर (औरंगाबाद): औरंगाबाद जिले का शिक्षा विभाग एक बार फिर अपनी कार्यप्रणाली को लेकर विवादों में है। अभी हाल ही में शिक्षा सेवकों और तालीमी मरकज की बहाली में अनियमितताओं के आरोप लगे थे, और अब एक नया मामला सामने आया है। नवीनगर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बरईखाप में एक शिक्षा सेवक का नियमों के विरुद्ध जाकर पुनः योगदान कराने का मामला प्रकाश में आया है। इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और लेन-देन की खबरों को हवा दे दी है।
यह पूरा मामला प्राथमिक विद्यालय बरईखाप में कार्यरत शिक्षा सेवक कइल राम से जुड़ा है। नियमों के अनुसार, यदि कोई शिक्षा सेवक 30 दिनों तक बिना किसी सूचना के अनुपस्थित रहता है तो उसे सेवा से हटाए जाने का प्रावधान है। लेकिन, कइल राम पिछले लगभग एक साल से बिना किसी सूचना के विद्यालय से अनुपस्थित था, बावजूद इसके पिछले महीने उसे फिर से काम पर ले लिया गया।

विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्रीप्रसाद पाल ने इस संबंध में गोलमोल जवाब देते हुए स्वीकार किया कि शिक्षा सेवक कइल राम 10 महीने से अधिक समय से अनुपस्थित था। उन्होंने यह भी बताया कि इस अनुपस्थिति की रिपोर्ट जिला कार्यालय को भेजी गई थी, लेकिन जिला कार्यालय के आदेश पर ही उसे पुनः योगदान कराया गया है।

वहीं, सूत्रों के अनुसार, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (बीईओ) राजनारायण राय के प्रतिवेदन के आधार पर ही उक्त शिक्षा सेवक को पुनः योगदान की अनुमति मिली थी। जब इस संबंध में बीईओ राजनारायण राय से पूछा गया तो उन्होंने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनके द्वारा किसी भी तरह का कोई प्रतिवेदन नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि “हेडमास्टर ने बैठक करके किया है” और इसके बाद उन्होंने फोन काट दिया।
इस घटना ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि उच्चाधिकारी इस मामले का संज्ञान लेते हैं या नहीं। पूरे मामले की सच्चाई सिर्फ निष्पक्ष जांच से ही सामने आ सकती है।
नवीनगर से संदीप कुमार की रिपोर्ट
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