

पटना : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि ‘समाजवाद’ की आड़ में ‘नमाजवाद’ की बातें हो रही हैं। यह पलटवार तेजस्वी यादव के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर उनका गठबंधन बिहार में सत्ता में आता है, तो संशोधित वक्फ अधिनियम को ‘कूड़ेदान में फेंक देगा’।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्षी गठबंधन (इंडिया) पर संविधान को ‘शरिया की स्क्रिप्ट’ में बदलने और अपने ‘नमाजवाद’ को छिपाने के लिए ‘समाजवाद’ का सहारा लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया था और उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इसे ‘कूड़ेदान में फेंकने’ की बात करके विपक्षी गठबंधन ने संविधान के प्रति अपने अनादर को दर्शाया है।

त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि विपक्षी गठबंधन वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है और पिछले दरवाजे से शरिया प्रावधानों को लागू करना चाहता है।
उन्होंने तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों का हवाला दिया, जहां हिंदू अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की कीमत पर मुसलमानों को आरक्षण दिया जा रहा है। पश्चिम बंगाल भी ऐसा करने की कोशिश कर रहा है। त्रिवेदी ने स्पष्ट किया कि भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध है और किसी भी प्रावधान को कूड़ेदान में नहीं फेंकने देगा।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को पटना के गांधी मैदान में ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि बिहार में सत्तारूढ़ राजग ‘अपने अंत की ओर’ है और विपक्षी गठबंधन के नेतृत्व वाली नई सरकार आई तो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए वक्फ अधिनियम को ‘कूड़ेदान में फेंक देगी’।
भाजपा आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि तेजस्वी यादव की गांधी मैदान रैली का असली एजेंडा अब सामने आ गया है, जहां बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की नहीं, बल्कि शरिया और शरीयत के कानून की बातें हो रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या तेजस्वी और राहुल गांधी बिहार को संविधान से नहीं, बल्कि शरीयत से चलाना चाहते हैं। मालवीय ने चेतावनी दी कि देश को बांटने वाली इस खतरनाक राजनीति का जवाब जनता 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में देगी, क्योंकि बिहार संविधान से चलेगा, शरीयत से नहीं।
यह विवाद बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक सरगर्मी को और बढ़ा रहा है।
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