
धनबाद: अपने ही चचेरे भाई व धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या के आरोप में आठ साल जेल में बिताने वाले झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह पहली बार मीडिया को आज मुखातिब हुए. पत्रकारों को उन्होंने बताया कि, “जिस भाई नीरज के साथ बचपन से जवानी तक का समय बीता, उसकी इस तरह हत्या होना ही मेरे लिए सदमा है. साथ ही, उसकी हत्या का आरोप मेरे ऊपर लग जाना मेरे जीवन की सबसे बड़ी पीड़ा है.”
उन्होंने कहा कि मेरे पिता पांच भाई थे. जिनकी कुल संतानों में 13 भाई व 13 बहन हैं. पूर्व विधायक ने कहा कि, “मैं एकमात्र व्यक्ति हूं, जिसने नीरज हत्याकांड की सीबीआई जांच की मांग की.”

संजीव सिंह ने कहा कि उन्होंने शुरुआत से ही इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2019 में न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। वर्ष 2023 में अदालत ने जब राज्य सरकार से जवाब मांगा, तो सरकार ने सीबीआई जांच की आवश्यकता से इनकार कर दिया। संजीव सिंह ने कहा कि सच्चाई सामने आने में अत्यधिक देर हुई, परंतु अंततः न्यायालय ने उन्हें बरी कर न्याय किया।

अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए संजीव सिंह ने कहा कि 2017 में जेल जाने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी रागिनी सिंह से कहा था कि वे जनता से जुड़ी रहें और जनसेवा का कार्य जारी रखें। उन्होंने कहा कि उनका परिवार राजनीति में केवल सत्ता या चुनाव जीतने के लिए नहीं आया, बल्कि समाजसेवा के उद्देश्य से राजनीति में कदम रखा है। कठिन परिस्थितियों में भी रागिनी सिंह ने परिवार और राजनीति दोनों की जिम्मेदारियों को बखूबी संभाला और झरिया क्षेत्र में विधायक के रूप में जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी। संजीव सिंह ने कहा कि उनकी राजनीतिक संस्कृति संघर्ष से उपजी है, और जनसेवा उनके परिवार की मूल पहचान रही है।
नगर निगम चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि फिलहाल वे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं और पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद ही आगे की राजनीतिक रणनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा कि वे पांच भाई और तेरह बहनें हैं, और इतने बड़े परिवार में हत्या का आरोप लगना उनके लिए असहनीय था। उन्होंने कहा कि आज तक यह समझ नहीं पाए कि आखिर उन्हें ही क्यों आरोपी बनाया गया, परंतु न्यायालय के फैसले ने यह सिद्ध कर दिया कि सच्चाई भले देर से सामने आई, पर आई अवश्य।
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