
धनबाद (उज्ववल कुमार): आईआईटी (आईएसएम) धनबाद में सोमवार को “नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन क्रिटिकल मेटल्स: रीसाइक्लिंग, इनोवेशन, सेपरेशन एंड प्रोसेसिंग (CRISP-2025)” का शुभारंभ हुआ। तीन दिवसीय यह सम्मेलन (13 से 15 अक्टूबर 2025) स्वच्छ ऊर्जा और तकनीकी प्रगति में अहम भूमिका निभाने वाले महत्वपूर्ण खनिजों के सतत दोहन, प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण पर केंद्रित है।
मुख्य अतिथि पद्म भूषण डॉ. वी. के. सारस्वत, सदस्य नीति आयोग, ने उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए भारत में स्वावलंबी और तकनीकी रूप से सशक्त खनिज पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि लिथियम, कोबाल्ट, निकल और रेयर अर्थ एलिमेंट जैसे खनिजों में आत्मनिर्भरता भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए अत्यंत आवश्यक है। डॉ. सारस्वत ने सेकेंडरी रिसोर्स उपयोग, एडवांस्ड सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन, बायो-लीचिंग तथा एआई आधारित प्रक्रिया निगरानी तकनीकों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने आईआईटी (आईएसएम) धनबाद में पायलट प्लांट स्थापित करने और इन खनिज तकनीकों को अकादमिक पाठ्यक्रमों में शामिल करने का सुझाव दिया।

निर्देशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण खनिज भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा की कुंजी हैं। उन्होंने बताया कि आईआईटी (आईएसएम) को “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्रिटिकल मिनरलाइजेशन” के रूप में मान्यता मिली है और हाल ही में घोषित “इंडिया–यूके क्रिटिकल मिनरल्स ऑब्जर्वेटरी” भी यहीं स्थापित होगी।

समारोह में प्रो. धीरज कुमार, प्रो. आरती कुमारी, प्रो. शत्रुघ्न सोरेन, डॉ. डी. के. सिंह और प्रो. विष्णु तेजा मंत्रिप्रगड़ा सहित संस्थान के वरिष्ठ शिक्षाविदों ने भाग लिया। कार्यक्रम में “बुक ऑफ एब्स्ट्रैक्ट्स” का विमोचन और अतिथियों का सम्मान भी किया गया। तीन दिवसीय यह सम्मेलन नवाचार, स्थिरता और परिपत्र अर्थव्यवस्था पर विशेषज्ञ सत्रों के साथ 15 अक्टूबर तक चलेगा।
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