

अंतर्कथा प्रतिनिधि केरेडारी
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में हुई मासूमों की दर्दनाक मौत ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है। केवल नौ बच्चों की जिंदगीें इस जानलेवा सिरप Coldrif की वजह से खत्म हो गईं, और उनके परिवार अब गहरे शोक और आक्रोश के बीच हाशिये पर खड़े हैं।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, यह अत्यंत दुखद और अस्वीकार्य है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। घटना की गंभीरता को देखते हुए सिरप की बिक्री पर पूरे प्रदेश में तत्काल बैन लगा दिया गया। साथ ही, सिरप बनाने वाली तमिलनाडु की फैक्ट्री और कंपनी के अन्य उत्पादों की जांच भी तेज कर दी गई है।

जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सिरप में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा अनुमेय सीमा से कहीं अधिक पाई गई, जो सीधे बच्चों की मौत का कारण बनी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य FDA द्वारा जांचे गए कुछ नमूने DEG मुक्त पाए गए थे, लेकिन तमिलनाडु FDA की रिपोर्ट ने मामले की भयावहता को और बढ़ा दिया।
इस त्रासदी ने पूरे देश को दवा सुरक्षा के सवालों के घेरे में ला दिया है। देशभर में 19 दवा निर्माण इकाइयों पर Risk-Based Inspection शुरू कर दी गई है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, ICMR, NEERI, CDSCO और AIIMS नागपुर की विशेषज्ञ टीम छिंदवाड़ा पहुंच चुकी है और बच्चों की मौत के असली कारणों की तह तक जाने में जुटी है।
स्थानीय लोग अब दहशत और गुस्से में हैं। माताएँ और पिता डर के साये में अपने बच्चों को सुरक्षित रखने की जद्दोजहद कर रहे हैं। हर कोई सवाल कर रहा है –आखिर क्यों हमारी औषध सुरक्षा व्यवस्था मासूमों की जान बचाने में विफल रही?
मुख्यमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा है कि दोषियों को कठोरतम कानूनी कार्रवाई के तहत सजा दी जाएगी। प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि ऐसी भयावह त्रासदी दोबारा न हो, इसके लिए सख्त निगरानी और हर संभव कदम उठाए जाएंगे।
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