

रांची: झारखंड में आदिवासी संगठनों ने 17 अक्टूबर को रांची के प्रभात तारा मैदान में अपनी ताकत और एकता का प्रदर्शन करने के लिए ‘आदिवासी हुंकार महारैली’ आयोजित करने का ऐलान किया है। केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने इसे आदिवासियों के अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा की निर्णायक लड़ाई बताया है।
यह रैली मुख्य रूप से कुरमी समुदाय को आदिवासी (ST) सूची में शामिल करने की बढ़ती मांग के विरोध में बुलाई गई है। आदिवासी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए आरोप लगाया कि कुरमी जाति फर्जी तरीके से अपने नेताओं को ऐतिहासिक विद्रोहों से जोड़कर आदिवासी अधिकारों पर अतिक्रमण करने की कोशिश कर रही है।

पूर्व विधायक गीताश्री उरांव ने कहा कि यह कुरमी जाति द्वारा संवैधानिक हक, आरक्षण, जमीन और गौरवशाली इतिहास पर कब्जा करने की एक सोची-समझी साजिश है।

ऐतिहासिक दावों को खारिज करने की मांग
आदिवासी नेताओं ने जोर देकर कहा कि कुरमी समुदाय द्वारा चुआड़, कोल और संथाल विद्रोह जैसे ऐतिहासिक संघर्षों में शामिल होने के दावे वास्तविक इतिहास से मेल नहीं खाते हैं। उन्होंने मानवशास्त्रीय अध्ययन, डीएनए शोध और लोकुर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया, जो स्पष्ट करती है कि कुरमी जाति अनुसूचित जनजाति नहीं है।
बबलू मुंडा ने मांग की कि एसटी आरक्षण की पात्रता की जांच के लिए तुरंत एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए, ताकि कोई भी समुदाय फर्जी इतिहास गढ़कर आदिवासी अधिकारों का अतिक्रमण न कर सके। आदिवासी संगठनों ने साफ कर दिया है कि 17 अक्टूबर की रैली आदिवासी एकजुटता और अस्तित्व की एक बड़ी परीक्षा साबित होगी।
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