

राजनगर (सरायकेला-खरसावां): सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर प्रखंड स्थित बीजाडीह पंचायत के समरसाई चौक पर शुक्रवार को महान शिक्षाविद् और वारंगक्षिति लिपि के आविष्कारक ओत गुरु कोल लाको बोदरा की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक चंपाई सोरेन ने लाको बोदरा की प्रतिमा का अनावरण किया।
चंपाई सोरेन ने वारंगक्षिति लिपि के लिए संघर्ष का ऐलान किया

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चंपाई सोरेन ने लाको बोदरा को केवल ‘हो’ समाज का नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज का प्रेरणास्रोत बताया। उन्होंने कहा कि लाको बोदरा ने वारंगक्षिति लिपि का आविष्कार कर आदिवासी समाज को एक पहचान दी। चंपाई सोरेन ने झारखंड के स्कूलों में इस लिपि की पढ़ाई न होने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि वह केंद्र सरकार से इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग फिर से दोहराएंगे।

चंपाई सोरेन ने आदिवासी समाज के सामने आ रही चुनौतियों पर भी बात की। उन्होंने सीएनटी और एसपीटी एक्ट के बावजूद हो रही जमीन की खरीद-बिक्री, घुसपैठ के कारण घट रही आदिवासी आबादी और रिम्स-2 के नाम पर जमीन अधिग्रहण जैसे मुद्दों पर सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आदिवासी स्वशासन व्यवस्था को भी चुनौती मिल रही है, जिसके खिलाफ वे भोगनाडीह में पाँच लाख लोगों की भीड़ जुटाकर एक बड़ा आंदोलन करेंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह
इस अवसर पर पारंपरिक ढोल-मांदर की थाप पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के दौरान मुंडा-मानकी, ग्राम प्रधान, शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं और ‘हो’ भाषा के कलाकारों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने आदिवासी संस्कृति और पहचान को संरक्षित करने में योगदान दिया है।
इस समारोह में जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा, जिप सदस्य मालती देवगम, सिमल सोरेन, सावन सोय, डॉ. बबलू सुंडी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे
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