

सरायकेला: झारखंड के तमाड़ विधानसभा क्षेत्र का एक गांव, जो कभी नक्सल प्रभावित था, अब अपनी कला और संस्कृति के लिए जाना जाता है। चिरूडीह गांव के युवा फाइन आर्ट छात्र मनीष महतो ने अपनी प्रतिभा और लगन से इस गांव को एक अनोखे ‘आर्टिस्ट विलेज’ में बदल दिया है।
सोहराई पेंटिंग से सजी हर घर की दीवार

24 वर्षीय मनीष महतो, जो श्रीनाथ विश्वविद्यालय में फाइन आर्ट्स की पढ़ाई कर रहे हैं, ने अपने गांव को कलात्मक रूप देने का बीड़ा उठाया। उन्होंने अपने घर की दीवारों पर झारखंड की पारंपरिक लोक कला सोहराई पेंटिंग बनाकर इसकी शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने गांव की महिलाओं और बच्चियों को इस कला का निःशुल्क प्रशिक्षण देना शुरू किया।

आज चिरूडीह गांव के हर घर की दीवारें सोहराई पेंटिंग से सजी हुई हैं, जिसने इसे एक नई पहचान दी है। मनीष की इस पहल से न केवल गांव की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा मिला है, बल्कि महिलाएं अपनी कला को बेचकर आत्मनिर्भर भी बन रही हैं।
सरकारी और निजी सहयोग की मांग
मनीष महतो ने झारखंड सरकार के कला संस्कृति विभाग से अपनी प्राचीन विरासत और लोक कला को संरक्षित करने के लिए सहायता की मांग की है। उनका मानना है कि सरकारी मदद से वे इस कला को और भी प्रसिद्ध बना सकते हैं।
चांडिल रेंज के वनपाल वशिष्ठ नारायण महतो ने मनीष की सराहना करते हुए उन्हें निजी तौर पर नकद राशि का सहयोग भी दिया है। वशिष्ठ महतो ने बताया कि मनीष के पूज्य पिताजी, स्वर्गीय अश्विनी कुमार महतो, ने सबसे पहले उनकी प्रतिभा को पहचाना था और उन्हें जमशेदपुर के ‘टाइगर स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स’ में दाखिला दिलाया था।
मनीष महतो की यह पहल सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है। यह दिखाता है कि कैसे कला और संस्कृति के माध्यम से किसी भी क्षेत्र की पहचान को सकारात्मक रूप से बदला जा सकता है।
There is no ads to display, Please add some





Post Disclaimer
स्पष्टीकरण : यह अंतर्कथा पोर्टल की ऑटोमेटेड न्यूज़ फीड है और इसे अंतर्कथा डॉट कॉम की टीम ने सम्पादित नहीं किया है
Disclaimer :- This is an automated news feed of Antarkatha News Portal. It has not been edited by the Team of Antarkatha.com