

रिपोर्ट सत्येन्द्र यादव
इस संबंध में पूजा में उपस्थित ब्राह्मणों ने बताया कि जनेऊ तीन धागों वाला एक सूत्र होता है । जिसे पुरुष अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहनते हैं । इसे देव ऋण पितृ ऋण और ऋषि ऋण का प्रतीक माना जाता है । साथ ही इसे सत्व रज और तम गुण का भी प्रतीक माना जाता है ।

यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं । यज्ञोपवीत के तीन लड सृष्टि के समस्त पहलुओं में व्याप्त त्रिविध धर्म की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं । इस तरह जनेऊ नो तारों से निर्मित होता है । यह नौ तार शरीर के नौ द्वारा एक मुख, दो नासिक, दो आंख ,दो कान, मल और मूत्र माने गए हैं ।

इसमें लगाई जाने वाली पांच गांठे ब्रह्म धर्म अर्थ काम और मोक्ष का प्रतीक मानी गई है । यही कारण है कि जनेऊ को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना गया है । इसकी शुद्धता को बनाए रखने के लिए इसके कुछ नियमों का पालन आवश्यक है ।
बुरे संस्कारों का नाश करके अच्छे संस्कारों को स्थाई बनाने के लिए यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता है । उन्होंने कहा कि मनु महाराज के अनुसार यज्ञोपवीत संस्कार हुए बिना द्विज किसी कर्म का अधिकारी नहीं होता । द्विज का अर्थ होता है दूसरा जन्म यह संस्कार होने के बाद ही बालक को धार्मिक कार्य करने का अधिकार मिलता है ।
व्यक्ति को यज्ञ करने का अधिकार प्राप्त हो जाना ही यज्ञोपवीत है । पद्म पुराण के अनुसार करोड़ जन्म में किए हुए पाप यज्ञोपवीत धारण करने से नष्ट हो जाते हैं । हिंदू मान्यताओं के अनुसार आयु बल बुद्धि और संपत्ति की वृद्धि के लिए यज्ञोपवीत पहनना जरूरी है ।
इसे धारण करने से कर्तव्य का पालन करने की प्रेरणा मिलती है । इसी के मद्देनजर बराकर के चौक बाजार स्थित श्री मारवाड़ी पंचायती ठाकुरबाड़ी में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी शनिवार को जनेऊ पूजा संपन्न हुआ । इस दौरान इस पूजा में जानकार ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रोचारण कर विधि विधान पूर्वक जनेऊ की पूजा की गई और पूजा होने के पश्चात सभी को जनेऊ सौंप दिया गया ।
पूजा में लोग अपने-अपने उपयोग के अनुसार जनेऊ की संख्या को रखते हैं । जिसका उपयोग वह क्रमबद्ध तरीके से वर्ष भर करते हैं । फिर पुनः रक्षाबंधन के पूर्णिमा पर यह आयोजन किया जाता है । इस अवसर पर क्षेत्र के जाने-माने पंडित ऋषि केश शर्मा , राम पंडित , नरेश पंडित, हरिशंकर शर्मा , अमित शर्मा और सेंटी पप्पू शर्मा, मोनू शर्मा, डब्बू चौबे, पप्पू शर्मा के अलावे काफी संख्या में ब्राह्मण समाज के लोग मौजूद थे ।
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