• Mon. Sep 29th, 2025

सी-लैब ने बच्चों के यौन उत्पीड़न पीड़ितों की मदद के लिए भारत का पहला सपोर्ट पर्सन सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया

Byadmin

Aug 1, 2025

 

 

नई दिल्ली: बाल यौन शोषण के मामलों में पीड़ित बच्चों की सहायता के लिए प्रशिक्षित और योग्य पेशेवरों की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए, द सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियर चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। सी-लैब ने देश का पहला सपोर्ट पर्सन के लिए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है, जिसका उद्देश्य यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों को कानूनी, चिकित्सीय और भावनात्मक सहायता प्रदान करने वाले विशेषज्ञों की कमी को पूरा करना है।

 

यह कदम 2023 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है, जिसमें पॉक्सो मामलों में सभी पीड़ित बच्चों के लिए सपोर्ट पर्सन की अनिवार्य नियुक्ति का आदेश दिया गया था। इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि न्याय की प्रतीक्षा कर रहे 2.39 लाख यौन शोषण के शिकार बच्चों को उचित सहायता मिल सके। हालांकि, प्रशिक्षित सपोर्ट पर्सन की कमी राज्य सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

 

सी-लैब, जो भारत में बच्चों के सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध एक अग्रणी संगठन है, ने इस कमी को पूरा करने के लिए यह अनूठा कोर्स डिजाइन किया है। यह पहल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि 2019 से 2022 के बीच पॉक्सो के तहत दर्ज मामलों में 300 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो यौन शोषण के पीड़ित बच्चों की सहायता के लिए योग्य पेशेवरों की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।

 

सपोर्ट पर्सन की भूमिका और महत्व:

 

सपोर्ट पर्सन वे व्यक्ति होते हैं जो यौन शोषण के पीड़ित बच्चों की कानूनी, चिकित्सीय और भावनात्मक तरीके से मदद करते हैं, और उन्हें समाज की मुख्य धारा में वापस लाने में सहायता करते हैं। वे जांच और मुकदमे के दौरान बच्चों को सहारा देते हैं, यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चे कार्यवाही को समझ सकें, और उन्हें भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस कराएं ताकि उन्हें संवेदनहीन तंत्र या ज्ञान की कमी के कारण दोबारा पीड़ा का अनुभव न हो।

 

इस कोर्स में पहले व्याख्यान के लिए बुलाए गए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक, भुवन ऋभु ने कहा, “न्याय का पैमाना सिर्फ फैसले ही नहीं बल्कि यह भी है कि पूरी प्रक्रिया के दौरान बच्चे की गरिमा और सम्मान का कितना ख्याल रखा गया। इस पूरी यात्रा में पर्दे के पीछे सबसे बड़ी ताकत सपोर्ट पर्सन होते हैं जो उन्हें मार्ग दिखाते हैं, सुरक्षा करते हैं और सबसे बुरे वक्त में पीड़ित परिवार का संबल व सहारा बनते हैं।” उन्होंने सी-लैब की इस पहल को एक सुव्यवस्थित रूपांतरण की दिशा में एक कदम बताया, जो पीड़ित बच्चों को न केवल फिर से खड़ा होने में मदद करेगा बल्कि उन्हें यह विश्वास दिलाएगा कि न्याय संभव है।

 

पाठ्यक्रम की विशेषताएं:

 

यह अपनी तरह का पहला 10-सप्ताह का कोर्स ऑनलाइन और क्लासरूम में पढ़ाई का मिश्रण होगा, जिसमें असाइनमेंट और फील्ड वर्क भी शामिल है। इसका उद्देश्य भविष्य के सपोर्ट पर्सन को यौन शोषण के शिकार बच्चों और उनके परिवारों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करना है।

 

इस अनूठे कोर्स की निदेशक डॉ. संगीता गौड़ ने बताया कि पॉक्सो जैसे सख्त कानूनों के बावजूद, हजारों बच्चे अदालतों के चक्कर काट रहे हैं या अपने घरों में दुबके हुए हैं, और उनकी सहायता व मार्गदर्शन के लिए कोई नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि बच्चों के साथ संवेदनशीलता से पेश आना, उनके जख्मों पर प्यार से मरहम लगाना, और उन्हें उनके कानूनी अधिकार बताना बेहद महत्वपूर्ण है। एक प्रशिक्षित सपोर्ट पर्सन यह सुनिश्चित कर सकता है कि बच्चों की गरिमा से खिलवाड़ नहीं हो और उन्हें न्याय अवश्य मिले।

 

इस कोर्स में उन व्यक्तियों को लक्षित किया गया है जो यौन शोषण के शिकार बच्चों की मदद के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, सपोर्ट पर्सन के रूप में कार्यरत हैं, या सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर बाल सुरक्षा तंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं।

 

पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:

 

बाल अधिकार और बाल संरक्षण की मूलभूत जानकारी

 

पॉक्सो एवं बाल यौन शोषण मामलों में बुनियादी कानूनी प्रक्रियाएं

 

सपोर्ट पर्सन की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां

 

पीड़ितों को मुआवजा और उनके पुनर्वास में सहयोग और मार्गदर्शन

 

बच्चों के अनुकूल संवाद तथा बाल मन पर गहरे आघात से उन्हें उबारने के लिए कौशल विकसित करना

 

एक प्रमुख विशेषता

 

मनोवैज्ञानिक प्राथमिक सहायता का प्रशिक्षण है, क्योंकि सपोर्ट पर्सन बच्चों के लिए उनकी पहली सुरक्षा पंक्ति होते हैं। यह पाठ्यक्रम कानून, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कार्य के क्षेत्र के विशेषज्ञों और विख्यात हस्तियों द्वारा पढ़ाया जाएगा।

 

सी-लैब बाल अधिकारों की सुरक्षा के क्षेत्र में अग्रणी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन की एक परिकल्पना है, जो बाल यौन शोषण और उससे जुड़े अपराधों जैसे बच्चों की ट्रैफिकिंग, साइबर जगत में बच्चों के शोषण और बाल विवाह के खिलाफ काम करने के लिए समर्पित है।

 

इस पहल के बारे में आपके क्या विचार हैं और आपको क्या लगता है कि यह यौन उत्पीड़न के शिकार बच्चों के लिए कितना प्रभावी साबित होगा?


There is no ads to display, Please add some
Post Disclaimer

स्पष्टीकरण : यह अंतर्कथा पोर्टल की ऑटोमेटेड न्यूज़ फीड है और इसे अंतर्कथा डॉट कॉम की टीम ने सम्पादित नहीं किया है
Disclaimer :- This is an automated news feed of Antarkatha News Portal. It has not been edited by the Team of Antarkatha.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *