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विद्यालय रसोइयों ने किया CM और शिक्षा मंत्री का पुतला दहन, मानदेय वृद्धि की मांग

Byadmin

Jun 29, 2025

 

लखीसराय, 25 जून 2025: बिहार में विद्यालय रसोइयों का आक्रोश बुधवार को सड़कों पर उतर आया। बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ एक्टू, लखीसराय इकाई ने राज्य स्तरीय निर्देशों के आलोक में मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का पुतला दहन किया। यह विरोध प्रदर्शन लखीसराय प्रखंड बीआरसी कार्यालय के सामने किया गया, जिसमें रसोइयों ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर जोरदार नारेबाजी की।

 

संगठन ने 1650 रुपये के वर्तमान मानदेय को बढ़ाकर 10,000 रुपये करने, विद्यालय में कार्यरत रसोइयों को चतुर्थवर्गीय कर्मचारी का दर्जा देने और मध्याह्न भोजन योजना से गैर-सरकारी संगठनों (NGO) को बाहर करने जैसी प्रमुख मांगें उठाईं। संगठन की महासचिव सरोज चौबे द्वारा जारी पत्र के अनुसार, वे पारिश्रमिक वृद्धि और अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की घोषणा कर चुके हैं, जिससे मध्याह्न भोजन बाधित हो सकता है।

 

प्रदर्शनकारियों ने केआरके मैदान से नारेबाजी करते हुए बीआरसी कार्यालय तक मार्च किया। उनका आरोप है कि रसोइयों से प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से 10 घंटे काम लिया जाता है। इसके अलावा, उनसे स्कूल की सफाई, शौचालय में पानी भरने जैसे कई ऐसे काम भी कराए जाते हैं जो उनके कार्यक्षेत्र से बाहर हैं। रसोइयों का कहना है कि उन्हें धमकाया जाता है कि यदि वे आवाज उठाएंगे तो उन्हें स्कूल से निकाल दिया जाएगा।

 

बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ एक्टू ने निदेशक, मध्याह्न भोजन योजना, बिहार, पटना के पत्र को भी जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया। इस पत्र में निदेशालय पत्रांक 468 दिनांक 21 फरवरी 2024 का हवाला देते हुए यह स्पष्ट आदेश दिया गया था कि यदि रसोईया सह सहायक हड़ताल पर जाते हैं और मध्याह्न भोजन बाधित होता है, तो उनके पारिश्रमिक में प्रतिदिन सौ रुपये की कटौती की जाएगी। साथ ही, उन्हें तत्काल काम पर नहीं लौटने पर हटाने और नए रसोईया सह सहायक का चयन सुनिश्चित करने की चेतावनी भी दी गई है।

 

रसोइयों ने इस आदेश को “कहाँ का न्याय है” कहकर इसकी निंदा की। उन्होंने जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिए गए पत्र में भी 10 महीने की बजाय 12 महीने के पारिश्रमिक भुगतान की मांग की है। रसोइयों ने अपनी एकता का संकल्प लेते हुए कहा कि वे अपने ऊपर हो रहे “जुल्म” के खिलाफ लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। यह पुतला दहन इस बात का संकेत है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज हो सकता है, जिससे राज्य भर में मध्याह्न भोजन योजना पर असर पड़ सकता है।


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