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सरायकेला में बेसहारा बच्चों को सामाजिक न्याय दिलाने की पहल: साथी समिति का दौरा और आधार पंजीकरण अभियान

Byadmin

May 28, 2025

 

सरायकेला: ज़िले में बेसहारा बच्चों को सामाजिक न्याय दिलाने और उनकी पहचान करने के उद्देश्य से ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) द्वारा गठित साथी समिति ने सक्रियता दिखाई है। हाल ही में समिति ने निमडीह प्रखंड के बाड़ेदा और सबर टोला बुरुडीह गांव का दौरा किया। यह पहल नालसा योजना के तहत की जा रही है, जिसका मुख्य लक्ष्य वंचित बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है।

 

साथी समिति का महत्वपूर्ण सर्वेक्षण

साथी समिति ने नीमडीह प्रखंड के इन गांवों में एक विस्तृत सर्वेक्षण किया, जिसका प्राथमिक उद्देश्य बेसहारा बच्चों की पहचान करना था। इस सर्वेक्षण के माध्यम से उन बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, जिससे वे कई सरकारी योजनाओं और सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं। यह सर्वेक्षण अभियान 26 मई से 26 जून तक चलेगा, जिसके बाद पहचाने गए बच्चों के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

 

आधार पंजीकरण शिविर: एक महत्वपूर्ण कदम

 

सर्वेक्षण के बाद, बच्चों को विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए आधार पंजीकरण एक महत्वपूर्ण कदम है। इसी कड़ी में, DLSA ने 27 जून से 5 अगस्त तक आधार पंजीकरण शिविर आयोजित करने की घोषणा की है। इन शिविरों के माध्यम से उन सभी बच्चों को आधार कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे जिनकी पहचान सर्वेक्षण के दौरान की जाएगी। यह बच्चों को सामाजिक न्याय दिलाने की दिशा में एक ठोस पहल है, क्योंकि आधार कार्ड आज के समय में कई सरकारी लाभों और पहचान के लिए अनिवार्य हो गया है।

 

DLSA की तैयारी और आगामी कार्ययोजना

 

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने के लिए, DLSA सरायकेला ने 23 मई 2025 को साथी समिति के सदस्यों के लिए एक ओरिएंटेशन सत्र आयोजित किया। इस सत्र में समिति के सदस्यों को उनके कर्तव्यों और कार्यक्रम के उद्देश्यों से अवगत कराया गया। समिति में ज़िला बाल संरक्षण अधिकारी (DCPO), परियोजना समन्वयक, और अन्य महत्वपूर्ण सदस्य शामिल हैं, जो इस पहल को सफल बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

 

आने वाले समय में, सर्वेक्षण और शिविरों के माध्यम से बेसहारा बच्चों की पहचान की जाएगी और उन्हें सामाजिक न्याय दिलाने के लिए आवश्यक कानूनी और सामाजिक सहायता प्रदान की जाएगी। यह कदम सरायकेला ज़िले में बाल कल्याण और सामाजिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।


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