

रिपोर्ट :- नरेश विश्वकर्मा
पंचेत, धनबाद: झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बैनर तले बुधवार को बीसीसीएल एरिया 12 दहीबाड़ी सब स्टेशन का मुख्य द्वार घंटों तक बंद रहा. यह विरोध प्रदर्शन बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा एक श्रमिक को ‘संडे ऑफ’ (रविवार की छुट्टी) नहीं दिए जाने के फरमान के खिलाफ किया गया था, जिसे झामुमो ने मजदूर विरोधी नीति करार दिया. यूनियन के कड़े रुख के बाद, प्रबंधन को अपना फरमान वापस लेना पड़ा.

क्या था मामला?

यूनियन के पूर्व सचिव बाबूजान मरांडी ने बताया कि सुखलाल माझी, जो बेलमैन के पद पर रामकृष्ण कॉलोनी में पदस्थापित हैं, उन्हें इंजीनियर साहब द्वारा रविवार को छुट्टी न देने का आदेश जारी किया गया था. मरांडी ने इस फरमान को सरासर मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा इस तरह की नीतियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि प्रबंधन अपने फरमान को वापस नहीं लेता है, तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.
झामुमो का विरोध और प्रबंधन पर दबाव
झामुमो कार्यकर्ताओं और यूनियन नेताओं ने दहीबाड़ी सब स्टेशन के मुख्य द्वार पर एकत्रित होकर जमकर नारेबाजी की. उनका कहना था कि श्रमिकों के अधिकारों का हनन किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है. रविवार की छुट्टी श्रमिकों का मूलभूत अधिकार है और प्रबंधन इसे मनमाने ढंग से खत्म नहीं कर सकता. इस विरोध प्रदर्शन के कारण सब स्टेशन का कामकाज घंटों तक बाधित रहा, जिससे प्रबंधन पर दबाव बढ़ गया.
अधिकारियों की मध्यस्थता और समाधान
मामले की गंभीरता को देखते हुए, बीसीसीएल के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रुद्र पासवान और मैकेनिक इंजीनियर ज्योतिर्मय ब्रह्मा तत्काल मौके पर पहुंचे. उन्होंने आंदोलनकारी यूनियन नेताओं से बात की और स्थिति को समझने का प्रयास किया. लंबी बातचीत के बाद, प्रबंधन ने अपने ‘संडे ऑफ’ न देने के फरमान को वापस लेने का फैसला किया.
‘पारिवारिक मामला था, सुलझा लिया गया’
इस फैसले के बाद रुद्र पासवान ने पत्रकारों को बताया कि यह एक ‘पारिवारिक मामला’ था जिसे आपस में सुलझा लिया गया है. हालांकि, यूनियन नेताओं का स्पष्ट कहना था कि यह श्रमिकों के अधिकारों से जुड़ा मुद्दा था और झामुमो ने सफलतापूर्वक श्रमिकों के हक की लड़ाई लड़ी है. उन्होंने कहा कि भविष्य में भी यदि प्रबंधन द्वारा कोई भी मजदूर विरोधी नीति अपनाई जाती है, तो झामुमो उसका पुरजोर विरोध करेगा.
भविष्य की चेतावनी
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि श्रमिक संगठन अपने सदस्यों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. झामुमो ने प्रबंधन को स्पष्ट संदेश दिया है कि श्रमिकों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा और किसी भी तरह की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस मामले में प्रबंधन के फरमान को वापस लेना झामुमो की जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिसने भविष्य में भी श्रमिकों के अधिकारों के लिए मजबूत लड़ाई लड़ने का संकेत दिया है.
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