

सरायकेला जिले में महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के कार्यान्वयन में गंभीर अनियमितताओं और लापरवाही के आरोप सामने आ रहे हैं, जिससे योजना के उद्देश्यों पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है। जिला परिषद की उपाध्यक्ष श्रीमती मधु श्री महतो ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए जिला पशुधन पदाधिकारी को एक विस्तृत लिखित शिकायत सौंपी है। इस शिकायत में विशेष रूप से योजना के तहत वितरित बकरियों की रहस्यमय तरीके से हो रही मौतों पर प्रकाश डाला गया है और संबंधित अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं।
श्रीमती महतो द्वारा प्रस्तुत शिकायत के अनुसार, यह पाया गया है कि प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी और संबंधित आपूर्तिकर्ताओं के माध्यम से लाभार्थियों को जो पशु, खासकर बकरियां, वितरित की जा रही हैं, वे अक्सर कुछ ही दिनों के भीतर दम तोड़ देती हैं। यह समस्या विशेष रूप से कुचाई प्रखंड में विकराल रूप ले चुकी है, जहां कई गांवों के गरीब और जरूरतमंद ग्रामीणों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। शिकायत में सोमबारी मुण्डाईन (ग्राम – बिजार), सोमबती गुंडा (ग्राम – सोसोकाश), जोबना उटानी (ग्राम – दोय-पानी), सीता मुंडा (ग्राम – डालमेगा), मालती गुंडा (ग्राम – डालमेगा), उजेन्द्र लाल गुण्डा, शकुन्तला देवी (ग्राम – बाडेड़ीह) और सटसन्नी देवी (ग्राम – बाडेड़ीह) सहित दर्जनों ग्रामीणों के नाम का उल्लेख है, जिनकी बकरियां वितरण के कुछ समय पश्चात ही मर गईं। इन ग्रामीणों में महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल हैं, जो इस योजना से अपनी आजीविका सुधारने की उम्मीद लगाए बैठे थे।

इन आरोपों के अतिरिक्त, योजना के तहत पशुओं के बीमा को लेकर भी गंभीर अनियमितताओं की बात कही गई है। आरोप है कि आपूर्तिकर्ता बीमा प्रक्रिया में मनमानी कर रहे हैं, और सबसे चिंताजनक बात यह है कि पशुओं की असामयिक मृत्यु के बाद भी प्रभावित लाभार्थियों को बीमा की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इससे गरीब पशुपालकों पर दोहरी मार पड़ रही है – एक तो उनके पशुधन की हानि और दूसरा बीमा राशि से भी वंचित रहना, जो उनके नुकसान की भरपाई में सहायक हो सकती थी।

जिला परिषद उपाध्यक्ष मधु श्री महतो ने जिला पशुधन पदाधिकारी से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष एवं गहन जांच कराकर इसमें संलिप्त दोषी अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं के विरुद्ध तत्काल और उचित कार्रवाई करने की पुरजोर मांग की है। उन्होंने यह भी आग्रह किया है कि भविष्य में पशु वितरण प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और ऐसी सभी अनियमितताओं पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाया जाए, ताकि सरकार की इस कल्याणकारी योजना का लाभ वास्तविक रूप से पात्र और जरूरतमंद लाभार्थियों तक पहुंच सके और उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके। इस मामले ने जिले में पशुधन योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर किया है।
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