

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी सरकार के साथ इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक सियासी हमले की शुरुआत कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने विपक्षी आईएनडीआईए खेमे में शामिल सहयोगी दलों के आप से नरमी बरतने के दबाव को नकार दिया है।
साथ ही दो टूक यह संदेश भी दे दिया है कि राष्ट्रीय गठबंधन की दुहाई देकर राज्यों में कांग्रेस को हाशिए पर रखने की सहयोगी दलों की दबाव की रणनीति पार्टी अब सहजता से स्वीकार नहीं करेगी। हरियाणा चुनाव के चार महीने के भीतर दूसरी बार कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में साथी दलों की सियासी गुंजाइश देने के दांव-पेच में आने से इनकार किया है।

राहुल ने तीखे तेवरों से पार्टी कैडर को दिया साफ संदेश

आम आदमी पार्टी के खिलाफ राहुल गांधी ने मुखर तेवरों के जरिए अपने पार्टी कैडर को भी यह साफ संदेश दिया है कि राजनीतिक चुनौतियों के संघर्षपूर्ण दौर के बावजूद राज्यों में अपनी सियासी जमीन फिर से हासिल करने के लिए कांग्रेस दृढ़ता से आगे बढ़ेगी। राजधानी के सीलमपुर इलाके में सोमवार को हुई राहुल गांधी की पहली चुनावी रैली ने दिल्ली के चुनाव में सियासी हलचलें काफी बढ़ा दी हैं।
‘आप’ की असफलता गिनाकर साथी दलों दिया दो टूक संदेश
इस रैली में पीएम मोदी-भाजपा के साथ-साथ केजरीवाल को एक ही रंग में रंगते हुए लोकसभा में नेता विपक्ष आक्रामक हमले ही नहीं किए, बल्कि आप सरकार की विफलताओं की फेहरिस्त भी गिनाई और विपक्ष के साथी दलों को दो टूक संदेश दे दिया कि राज्यों के चुनाव में अपने वजूद की कीमत पर कांग्रेस सहयोगियों को खुश रखने का जोखिम नहीं लेगी।
दिल्ली की बदहाली की देश को दिखाई तस्वीर
सीलमपुर की रैली ही अपवाद न रह जाए इसके मद्देनजर राहुल गांधी ने मंगलवार को दिल्ली के रिठाला जैसे बाहरी इलाकों में लोगों के बीच जाकर राजधानी की नागरिक सुविधाओं की बदहाली की तस्वीर खुद देश को दिखाई। साथ ही दिल्ली को पेरिस बनाने के केजरीवाल के किए वादे पर तीखा तंज कसा।
सपा, टीएमसी को क्यों पसंद नहीं आए राहुल के तेवर
जाहिर तौर पर राहुल गांधी का राजधानी चुनाव में यह तेवर आप के अलावा सपा, तृणमूल कांग्रेस, राजद, शिवसेना यूबीटी आदि को पसंद नहीं आएगा क्योंकि ये सभी चाहते थे कि भाजपा को हराने के नाम पर कांग्रेस पूरी तरह केजरीवाल के आगे समर्पण कर दे। दिल्ली से पहले हरियाणा चुनाव में भी आईएनडीआईए के इन दलों ने कांग्रेस पर गठबंधन के लिए दबाव बनाया। इस दबाव में कांग्रेस ने आप के साथ सीटों के तालमेल को लेकर कई दौर की बैठकें भी कीं। इसमें अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक जैसे उसके वरिष्ठ नेता शामिल रहे।
आप और कांग्रेस के बीच नहीं बैठ पाए सीटों के समीकरण
इस दबाव में कांग्रेस दो-तीन सीटें देने को तैयार भी थी मगर आप इससे कहीं ज्यादा सीटों की अपेक्षा कर रही थी और तब पार्टी ने उसकी सियासी सीमा की लाल झंडी दिखा दी। हरियाणा के चुनाव नतीजों के बाद सहयोगी दलों ने इसको लेकर कांग्रेस की खूब आलोचना भी की और महाराष्ट्र के प्रतिकूल परिणामों के बाद तो वे लगभग मान बैठे थे कि दिल्ली में उनका दबाव तो कामयाब हो ही जाएगा।
राहुल के तेवरों से दिल्ली कांग्रेस में आई नई जान
मगर इसके विपरीत राजधानी के चुनाव में पूरी शिद्दत से दम लगा रही दिल्ली कांग्रेस के अभियान को आप सरकार के खिलाफ आक्रामकता के नए पायदान पर ले जाकर राहुल ने बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों के अपने सहयोगी दलों के सामने भविष्य के लिए सियासी दबाव की सीमा रेखा खींच देने का संदेश भी दिया है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के इस संदेश के बाद राजधानी के पार्टी नेता ही नहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी आप-केजरीवाल के खिलाफ मंगलवार को चौतरफा मोर्चा खोलते नजर आए।
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