
हज़ारीबाग: हज़ारीबाग की धरती के नीचे छिपा कोयले का काला कारोबार अब एक संगठित और खौफनाक भ्रष्टाचार का रूप ले चुका है, जिसका प्रमुख केंद्र जोराकाट बन गया है। आरोप है कि यहाँ ‘बड़े साहब’ के नाम पर काले सोने की संगठित लूट मची हुई है, जिसके आगे पुलिस, प्रशासन और स्थानीय मीडिया तक खामोश है।
जोराकाट बना कोयला तस्करी का अड्डा

लूट का केंद्र: हज़ारीबाग जिले का जोराकाट, चरही, और आसपास की चार रेलवे साइडिंग अब कोयला तस्करी के सबसे बड़े अड्डों में बदल चुकी हैं।

चोरी का पैमाना: सूत्रों के अनुसार, इन साइडिंगों से प्रतिदिन हजारों टन सरकारी कोयला चोरी कर बिहार और अन्य बाजारों में भेजा जा रहा है।
ढुलाई का समय और तरीका: यह अवैध कारोबार मुख्य रूप से रात के अंधेरे में (रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक) चलता है, जिसमें दर्जनों ट्रक, पिकअप, साइकिल और मोटरसाइकिल का उपयोग किया जाता है।
अवैध डिपो: जोराकाट में अवैध रूप से चल रहे कोयला डिपो को इलाके का ब्लैक मनी हब बताया जा रहा है।
‘बड़े साहब’ और राजनीतिक संरक्षण का आरोप
चर्चा में नाम: स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, इस संगठित तस्करी के पीछे गोविंद महतो, आशुतोष सिंह और महेश मेहता जैसे नाम सक्रिय हैं।
भ्रष्टाचार का आरोप: सबसे गंभीर आरोप यह है कि इन तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि विभागीय अधिकारियों से लेकर पुलिस तक सबकी आँखों पर नोटों की पट्टी बंधी हुई है।
सरकारी सिस्टम का मौन: स्थानीय लोगों का मानना है कि जब तक ‘बड़े साहब’ का हाथ इन तस्करों के सिर पर है, तब तक कोई भी कानूनी कार्रवाई संभव नहीं है।
राजनीतिक धमकी: रिपोर्ट के अनुसार, कई तस्कर खुलेआम रांची के कुछ मंत्रियों के नाम का इस्तेमाल कर धमकाते हैं कि उनके खिलाफ हाथ डालने पर कुर्सी चली जाएगी, जो इस कारोबार में उच्च राजनीतिक संरक्षण की ओर इशारा करता है।
हज़ारीबाग में यह कोयला तस्करी अब सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम के पूरी तरह से ढह जाने की एक जीती-जागती मिसाल बन चुकी है। जनता में अब डर की जगह गुस्सा पनप रहा है और चेतावनी दी जा रही है कि अगर प्रशासन ने जल्द ही आँखें नहीं खोलीं, तो यह काला कारोबार पूरे जिले को भ्रष्टाचार की राख में बदल देगा।
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