

सरायकेला के चिलगु पुनर्वास स्थल पर एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ बिना अनुमति के एक पुराने सरकारी भवन को ध्वस्त कर दिया गया और उसी जगह पर नए स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया। यह काम पुनर्वास एवं अंचल कार्यालय, चांडिल की मंजूरी के बिना किया गया है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ध्वस्त किए गए भवन की कीमती सामग्री, जैसे ईंट, लोहे के एंगल, एस्बेस्टस और रॉड, विभाग को सौंपने के बजाय रहस्यमय तरीके से गायब कर दी गई। विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी। इस मामले के उजागर होने के बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, 28 जुलाई को भू-अर्जन एवं पुनर्वास कार्यालय, आदित्यपुर से एक जांच टीम ने मौके का निरीक्षण किया।

जांच दल को देखकर ठेकेदार तुरंत काम बंद करके कर्मचारियों के साथ भाग गया। जांच में यह पुष्टि हुई कि सरकारी भवन को अवैध रूप से तोड़ा गया था और उसकी सामग्री भी गायब कर दी गई थी। ठेकेदार के पास निर्माण की कोई अनुमति नहीं थी।
इस घटना के बाद, भू-माफिया और दलालों में खलबली मच गई। उन पर आरोप है कि वे झूठी खबरें फैलाकर इस अवैध काम को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं और इस मामले को उजागर करने वालों को धमका रहे हैं।

अखिल भारतीय मानवाधिकार संघ के सदस्य निर्मल गोप ने इस घटना की निंदा की। उन्होंने बताया कि ध्वस्त भवन की सामग्री की कीमत लाखों में थी, जिसे दलालों की मिलीभगत से अवैध रूप से बेचा गया है। उन्होंने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। गोप ने यह भी आरोप लगाया कि भू-माफिया गैर-विस्थापितों को पुनर्वास स्थल पर बसाने की साजिश रच रहे हैं, जिसके बारे में पहले भी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस पूरे मामले में यदि निष्पक्ष जांच होती है, तो स्थानीय भू-माफिया, दलालों और ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है। यह मामला सरकारी संपत्ति की लूट और नियमों की अनदेखी का एक बड़ा उदाहरण है, जो प्रशासन की साख पर सवाल खड़ा करता है।
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