
राजनीति में कदम रखने के बाद यदि मुझे शक्ति, मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत मिला है, तो वह हैं मेरे राजनीतिक गुरु समरेश दादा। उनकी शिक्षा और आदर्शों ने मुझे राजनीतिक जीवन में हर परिस्थिति में दृढ़ और निर्भीक रहने की प्रेरणा दी है।
समरेश दादा से मैंने सीखा है कि राजनीति केवल पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक सेवा भाव से जुड़ा माध्यम है। उन्होंने हमेशा सिखाया कि हमें जनता के हित को अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर रखना चाहिए। यही कारण है कि मैं राजनीति को कमाई का जरिया मानने के बजाय समाज सेवा का पवित्र कार्य मानता हूँ।

मेरे राजनीतिक जीवन में स्वच्छता और पारदर्शिता का महत्व भी समरेश दादा से ही मिला है। उन्होंने दिखाया कि जनसेवा करते समय ईमानदारी और सच्चाई पर अडिग रहना ही असली नेतृत्व की पहचान है। उनकी सोच और विचारधारा ने मुझे भ्रष्टाचार से दूर रहकर साफ-सुथरी राजनीति करने का संकल्प दिलाया।

आज जो निर्भीकता और साहस मेरे भीतर है, वह पूरी तरह समरेश दादा की देन है। कठिन परिस्थितियों में भी जनता के लिए आवाज उठाना, समस्याओं को खुलकर सामने रखना और उनके समाधान के लिए कार्य करना – यह सब मैंने उन्हीं से सीखा है।
मेरे लिए राजनीति का अर्थ केवल सत्ता प्राप्त करना नहीं, बल्कि लोगों की सेवा करना है। इस सेवा के मार्ग पर चलते हुए मैं सदैव अपने गुरु के बताए सिद्धांतों और आदर्शों का पालन करता रहूँगा।
जय सीताराम, जय सीताराम – यही वह मंत्र है जो मुझे निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है और मेरे राजनीतिक जीवन को सेवा, साहस और ईमानदारी के रास्ते पर बनाए रखता है।
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