
(संवाददाता: नरेश विश्वकर्मा)
कलियासोल प्रखंड के एलाकेन्द गाँव में लंबे समय से चली आ रही एक धार्मिक रोक को शुक्रवार को करम डाल पूजा के साथ समाप्त कर दिया गया। गाँव में आदिवासी समाज के एक साथ तीन व्यक्तियों की मौत हो जाने के कारण समाज के नियमों के मुताबिक कोई भी पूजा-पाठ आयोजित नहीं किया जा रहा था।

सामाजिक नियम और ‘खुटा बदल’

आदिवासी समाज में यह नियम है कि जब तक गाँव में करम डाल की पूजा नहीं कराई जाती, तब तक कोई अन्य धार्मिक अनुष्ठान या पूजा-पाठ नहीं होता है। चूँकि कुछ ही दिनों बाद खुटा बदल (जिसे बांदना भी कहा जाता है) होने वाला है, इसलिए यह आवश्यक था कि पहले करम डाल पूजा संपन्न हो।
पूजा का आयोजन
स्थान: मांझी थान के समीप।
आयोजन: शुक्रवार सुबह करम डाल गाड़ कर पूजा प्रारंभ की गई।
मार्गदर्शक: पश्चिम बंगाल के गुरु बाबा मानिकराव टुडु अपने दल-बल के साथ पहुँचे और विधि-विधान पूर्वक करम डाल पूजा कराई।
नृत्य प्रस्तुति: गुरु बाबा मानिकराव टुडु के दल ने ढोल नगाड़ों के साथ महिला और पुरुष दलों का नृत्य भी प्रस्तुत किया।
गुरु बाबा मानिकराव टुडु ने घोषणा की कि आज के बाद गाँव में समाज के सभी लोग कोई भी पूजा-पाठ कर सकते हैं।
उपस्थिति
इस मौके पर मांझी हड़ाम कृष्ण हेम्मरम, नाइकि हड़ाम मानूं मांझी, दुर्गा मुर्मू, वकील सोरेन, कार्तिक हेम्बम, जेएमएम के रतिलाल टुडु, मुनिलाल, गणेश, मुखिया मनोज मंडल सहित काफी संख्या में समाज के महिलाएँ और पुरुष उपस्थित थे।
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