
नवीनगर से संदीप कुमार की रिपोर्ट
नवीनगर प्रखंड के तंदवा थाना क्षेत्र के रामनगर पंचायत अंतर्गत सूर्यपुरा मे आदर्श बाल मंडली के बैनर तले लगातार तीन दिनों तक भव्य सांस्कृतिक एवं नाट्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

मंडली की 25वीं वर्षगांठ पर आयोजित इस उत्सव में ग्रामीण कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी, जिससे पूरा माहौल तालियों की गूंज से भर उठा। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि नरेंद्र सिंहा, रमाशंकर सिंह (पैक्स अध्यक्ष पति, रामनगर), नरेश राम (पूर्व प्रधानाध्यापक, टंडवा हाई स्कूल), सरपंच नागदेव और समाजसेवी मनोज सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। अतिथियों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह के आयोजन युवाओं की प्रतिभा को निखारने और सांस्कृतिक परंपरा को बनाए रखने का कार्य करते हैं। आदर्श बाल मंडली ने अपनी 25वीं वर्षगांठ पर केक काटकर हर्षोल्लास से जश्न मनाया।

मंडली के सदस्यों ने अपने गुरुजनों — नरेंद्र सिंहा, राकेश मिश्रा, जनार्दन सिंह, रामचंद्र सिंह, बिजेंद्र कुमार, बृजकिशोर, नागदेव और योगेंद्र — को बुके और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर बलकेश, योगेंद्र प्रजापति, उपेंद्र यादव, रामाशीष प्रजापति सहित सूर्यपुरा ग्रामवासी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।मंडली के अध्यक्ष फिरोज़ खान के नेतृत्व में आयोजन को सफलता पूर्वक संपन्न किया गया। निदेशक कुमार अमर,
सचिव अरमान खान, कोषाध्यक्ष धनंजय चौधरी, स्टेज ऑर्गनाइज़र सोहराब खान, उद्घोषक प्रेम कुमार, सीन मेंटर अफजल, और व्यवस्थापक रंजीत कुमार ने कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था संभाली। तीन दिवसीय कार्यक्रम में मंच पर आदर्श बाल मंडली के कलाकारों ने नाटक गद्दार मंत्री,कफन की सौगन्ध,कानुन और मुलजिम में बेहतरीन अभिनय और नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रमुख कलाकारों में रंजीत यादव, ओमप्रकाश गुप्ता, भीम यादव, छोटू खान, संयोग चौधरी, रंजीत कुमार, फिरोज़ खान, अमरजीत कुमार, योगेंद्र प्रजापति, सनोज, चंदन, विजय, मृत्युंजय कुमार, अवधेश राजवंशी और बाल कलाकार रोनी कुमार शामिल रहे।
कार्यक्रम के दौरान दर्शकों की भीड़ उमड़ी रही और तालियों की गूंज देर रात तक जारी रही। मंडली के डायरेक्टर अमर कुमार ने कहा सबकुछ सही रहा तो अगले साल भी हम इससे भी बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे। हमारा उद्देश्य ग्रामीण कलाकारों को मंच देना और स्थानीय संस्कृति को जिंदा रखना है। दीपावली जैसे पावन पर्व पर आयोजित यह सांस्कृतिक उत्सव न केवल मनोरंजन का माध्यम रहा, बल्कि इसने ग्रामीण प्रतिभा, भाईचारा और सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत किया।
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