
सरायकेला : “पोषण माह 2025” का समापन समारोह सम्पन्न, DDc ने स्थानीय आहार और पुरुषों की भागीदारी पर दिया जोर
सरायकेला-खरसावां समाहरणालय सभागार में आज “पोषण माह 2025” का समापन समारोह उप विकास आयुक्त (डीडीसी) सुश्री रीना हांसदा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, सीडीपीओ, एलएस, आंगनवाड़ी सेविकाएं, सहिया और अन्य संबंधित विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

प्रमुख निर्देश और महत्वपूर्ण बिंदु

डीडीसी सुश्री रीना हांसदा ने कुपोषण उन्मूलन को केवल स्वास्थ्य विभाग की नहीं, बल्कि प्रशासन, समाज और परिवार की सामूहिक जिम्मेदारी बताया। उन्होंने पोषण के प्रति व्यवहार परिवर्तन लाने के लिए सभी विभागों को आपसी समन्वय से कार्य करने का निर्देश दिया।
नियमित निगरानी और उपचार:
बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं के पोषण स्तर की नियमित निगरानी सुनिश्चित की जाए।
आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य संस्थानों में पोषण स्थिति का समयबद्ध मूल्यांकन किया जाए।
आंगनवाड़ी सेविकाएँ/CDPO कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें आवश्यकतानुसार MTC (Malnutrition Treatment Centre) में भर्ती कराएं और नियमित फॉलो-अप सुनिश्चित करें।
पुरुषों की सक्रिय सहभागिता:
पोषण अभियान में महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों की सहभागिता भी अनिवार्य है।
पुरुषों को पोषणयुक्त आहार, उसके लाभ और कुपोषण से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि वे परिवार के स्वास्थ्य संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
स्थानीय आहार को प्रोत्साहन:
स्थानीय उत्पादों जैसे पत्तेदार साग, मौसमी फल-सब्जियाँ, अनाज, दालें एवं पारंपरिक पकवान को पोषण आहार का हिस्सा बनाया जाए। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी।
व्यवहार परिवर्तन और जागरूकता:
कुपोषण मुक्त समाज के निर्माण के लिए यह एक सतत प्रक्रिया है। आंगनवाड़ी केंद्रों, विद्यालयों और समुदाय स्तर पर लगातार जन-जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएं।
जीवनशैली से संबंधित बीमारियों से बचाव के लिए तेल, नमक और चीनी के उचित एवं सीमित उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए।
कार्यक्रम के अंत में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी द्वारा पोषण अभियान के अंतर्गत चल रही विभिन्न योजनाओं और गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी गई।
संदर्भ: पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan)
यह पहल राष्ट्रीय पोषण मिशन (POSHAN Abhiyaan / सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0) का एक हिस्सा है, जिसके मुख्य लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
उद्देश्य: 0-6 वर्ष के बच्चों में बौनापन (Stunting), अल्पपोषण (Underweight) और छोटे बच्चों तथा महिलाओं में एनीमिया की व्यापकता को चरणबद्ध तरीके से कम करना।
झारखंड में जोर:
जीवन के पहले 1000 दिनों पर ध्यान केंद्रित करना।
अस्वास्थ्यकर तेल और चीनी के अत्यधिक सेवन को कम करना।
स्थानीय/झारखंडी व्यंजन को आहार में शामिल करना।
सामुदायिक आधारित कार्यक्रम जैसे पोषण वाटिका और स्वस्थ आहार पर जागरूकता फैलाना।
सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा और जेएसएलपीएस (JSLPS) जैसे विभिन्न विभागों के समन्वय (Convergence) पर विशेष जोर दे रहा है, जैसा कि डीडीसी के निर्देशों में स्पष्ट है।
क्या आप झारखंड पोषण अभियान के तहत सरायकेला-खरसावां में विशिष्ट रूप से लागू किसी एक योजना जैसे स्थानीय खाद्य पदार्थों के उपयोग या MTC के कार्यों के बारे में और जानकारी चाहते हैं?
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