

अर्थी पर लेटा था मुर्दा अचानक से हुआ जिंदा और फिर कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर आप रहेंगे दंग
धनबाद के झरिया में एक अजीबोगरीब घटना घटी जिसे सुनकर आप पूरी तरह से चौक जाएंगे आप कहेंगे कि यह एक कुदरती करिश्मा है जी हां हम बात कर रहे हैं अर्थी पर लेटे एक मुर्दा की जो अंतिम संस्कार से ठीक पहले उसकी सांसे चलने लगी उस मुर्दे में जान वापस आ गई ………

इन अर्थीयो की तैयारियों को आप देख सकते हैं नदी के किनारे दफन करने के लिए खोदे गए उनके कब्र को देख सकते हैं यह सारी तैयारियां सुदामडीह थाना क्षेत्र के नीचे मोहलबनी के एक दिहाड़ी मजदूर सुखलाल मुंडा के शव यात्रा के लिए की गई थी उनकी अर्थी पूरी तरह से तैयार थी परिवार के सभी लोग ,मोहल्ले के सभी लोग रिश्तेदार अंतिम यात्रा में शव ले जाने के लिए तैयार थे…….

लेकिन जिस इंसान के लिए अर्थी तैयार थी लोग श्मशान ले जाने के लिए इकट्ठा हुए थे उस इंसान को जब शव यात्रा से पूर्व नहाने की प्रक्रिया चल रही थी उसी दौरान मुर्दे ने खटिया को पकड़ लिया और अपनी आंखें खोल दी मूर्दे की धड़कन फिर से धड़कने लगी…… इसे आप करिश्मा नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे कि जिस इंसान की सांसे घंटो बंद हो और अचानक से उसकी सांसे चलने लगे तो हड़कम मचना तो लाजमी है……..
सुखलाल मुंडा की सांसे चलते देख परिजनों में एक आस जगी और परिजनों ने तुरंत सुखलाल को उठाकर ऑटो से सामुदायिक स्वास्थ केंद्र चासनाला ले गए जहां चिकित्सा पदाधिकारी डॉ प्रतिमा दत्ता ने सुखलाल की जांच कर उसकी गंभीर स्थिति को देखकर बेहतर इलाज के लिए धनबाद रेफर कर दिया लेकिन रेफर की कार्रवाई पूरा होने से पहले परिजन सुखलाल को लेकर अस्पताल से जा चुके थे।
लेकिन सुखलाल के परिजनों की माने तो जब वे लोग सुखलाल को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चासनाला पहुंचे तो वहां मौजूद डॉक्टरों ने बिना सुखलाल की जांच किए उन्हें मृत घोषित कर दिया साथ ही सुखलाल मुंडा के रिश्तेदार को शव ले जाने एवं दाह- संस्कार करने के लिए कहा
लेकिन बाद में उनके सासे चलने के बात सामने आई और 108 एंबुलेंस मदद से सुखलाल मुंडा को एसएनएमएमसीएच अस्पताल ले जाया गया है। जहां डॉक्टरों ने सुखलाल की इसीजी एवं अन्य जांच कर उसे मृत घोषित कर दिया।
वही मृतक सुखलाल मुंडा के परिजनों द्वारा महिला डॉक्टर पे लगे आरोप का खंडन करते हुए चासनाला पदाधिकारी डॉ प्रतिमा दत्ता ने कहा कि हमने उन्हें मृत घोषित नहीं किया है बल्कि उनके बेहतर इलाज के लिए मैंने उन्हें धनबाद रेफरल किया था ।
बरहाल घंटो जिंदगी और मौत से लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार सुखलाल ने अपनी अंतिम साँस एसएनएमएमसीएच अस्पताल में ली । जिसके बाद पूरे विधि विधान के साथ उनकी अंतिम शव यात्रा निकाली गई………
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