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श्री वासुदेव बलवंत फडके शहीदी दिवस 17 फ़रवरी

Byadmin

Feb 17, 2022

वासुदेव बलवंत फडके (4 नवम्बर 1845 – 17 फ़रवरी 1883) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे जिन्हें आदि क्रांतिकारी कहा जाता है। वे ब्रिटिश काल में किसानों की दयनीय दशा को देखकर विचलित हो उठे थे। उनका दृढ विश्वास था कि ‘स्वराज’ ही इस रोग की दवा है।

उन्होंने रोहिल्ला, सिक्खों और निज़ाम की सेना में कार्यरत अरबों के साथ मिलकर एक नई क्रांति का पुनर्गठन करने की कोशिश की। उन्होंने भारत के विभिन्न भागों में अपने संदेशवाहक भेजे। किंतु भाग्य को उनकी योजनाओं की सफलता स्वीकार नहीं थी। देवार नवदगी नामक गांव में 20 जुलाई 1879 को उनकी गिरफ़्तारी के साथ यह समाप्त हुआ।

पुणे की अदालत में चले मुकदमे के बाद उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा मिली। इस अवसर पर उनके समर्थन में आए लोगों ने विषाद एवं गर्व से भरे कर्णभेदी नारे लगाए। फड़के ने आजीवन कारावास की बजाय मृत्यु को चुना। 17 फरवरी 1883 को 37 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई।

फड़के का क्रांतिकारी जीवन भले ही अल्पकालिक रहा हो। किंतु उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिये हथियारबंद आंदोलन की आधारशिला रखी।


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